विषय वस्तु:-
- विज्ञान क्या है..?
- विज्ञान की शिक्षण विधियां
- विज्ञान का अन्य विषयों के साथ संबंध
- शिक्षण के उपागम
- सहायक सामग्री का उपयोग
- मूल्यांकन की विधियां
- विज्ञान शिक्षक की भूमिका
- ΝΕΡ 1986 POA 1992 NCF-2005
- विज्ञान में सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन
- यूनिट प्लान
- निदान एवं उपचार |
विज्ञान क्या है
विज्ञान और उसकी प्रकृति के बारे में हमारे देश के राष्ट्रीय फोकस समूह के आधार पत्र NCF 2005 में कुछ इस प्रकार लिखा है विज्ञान एक जीवंत नए से नए अनुभवों के अनुसार विस्तार पता हुआ गतिमान ज्ञान है।
यह उत्पन्न कैसे होता है..??
क्या यह वैज्ञानिक प्रक्रिया है..??
फाइमैन के अनुसार मैंने सीखा की विज्ञान क्या है वह धैर्य है" ।
विज्ञान को परिभाषित करना कठिन है विज्ञान की प्रक्रिया को समझें अर्थात साइंस इज ए प्रोसेस (Science is a process)
SCIENCE शब्द की उत्पति लेटिन भाषा के शब्द स्क्वायर या सेंटिया (To Know) से हुई है जिसका अर्थ है जानना।
विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा विज्ञान की कुछ प्रमुख परिभाषाएं दी हैं जो निम्न प्रकार हैं।
एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका:- विज्ञान नैसर्गिक घटनाओं और उनके बीच संबंधों का सुव्यवस्थित ज्ञान है।
आइंस्टीन के अनुसार :- हमारे ज्ञान अनुभूतियों की अस्त-व्यस्त विभिन्नता को एक तर्क पूर्ण विचार प्रणाली निर्मित करने के प्रयास को विज्ञान कहते हैं।
डैंपियर के शब्दों में: विज्ञान प्राकृतिक विषय का व्यवस्थित ज्ञान और धारणाओं के बीच संबंधों का तार्किक अध्ययन है जिनमें यह विषय व्यक्त होते हैं
कोनेंट के अनुसार : विज्ञान अतः संबंधित सम्प्रत्यों एवं संप्रत्यात्मक योजनाओं की श्रृंखला है जो परीक्षण और प्रयोगशाला के परिणामस्वरूप विकसित हुई है
बीएफ स्किनर के अनुसार: विज्ञान निरंतर क्रांतिकारी परिवर्तन की स्थिति है और वैज्ञानिक सिद्धांत तब तक वैज्ञानिक नहीं होते हैं जब तक उन्हें आगामी अनुभव तथा प्रमाण द्वारा परिवर्तन ना किया जाना निहित नहीं है।
वुडबर्न और ओवर्न के अनुसार:- विज्ञान वह मानवीय व्यवहार है जो घटनाओं की और उन परिस्थितियों की जो प्राकृतिक वातावरण में उपस्थित हैं पूर्ण शुद्धता के साथ व्याख्या करने के प्रयास करें
पंडित जवाहरलाल नेहरू के अनुसार:- विज्ञान का अर्थ केवल मात्र परखनली तथा कुछ बड़ा या छोटा बनाने के लिए, इसको और उसको मिलना ही नहीं है अपितु विज्ञान वैज्ञानिक विधि के अनुसार वैज्ञानिक विधि के अनुसार हमारे मस्तिष्क को प्रशिक्षण देना ही विज्ञान है
फ्रेडरिक फिट्ज पैट्रिक के अनुसारः विज्ञान एक अनुभूति मूलक पर्यवेक्षकों की सच्चाई एवं अनंत श्रृंखला है जिसका परिणाम सिद्धांतों का निर्माण है जिसमें आगामी अनुभूति मूलक पर्यवेक्षकों के प्रकाश के विषय में सुधार भी साथ है विज्ञान ज्ञान का निकाय प्राप्ति की प्रक्रिया एवं ज्ञान का परिवर्तन है।
W.C. डैपियर के अनुसारः विज्ञान प्राकृतिक विषय का व्यवस्थित जान और धारणाओं के बीच संबंधों का तार्किक अध्ययन है जिनमें से यह विषय व्यक्त होते हैं।
इन परिभाषाओं के आधार पर निम्न निष्कर्ष निकाला जा सकता है
- विज्ञान में तथ्यों और संबंधों का अध्ययन किया जाता है।
- विज्ञान का ज्ञान क्रमबद्ध संगठित तथा सुव्यवस्थित होता है
- विज्ञान के अध्ययन से मस्तिष्क में तर्क एवं विश्लेषण करने की आदत विकसित होती है.
- विज्ञान तार्किक विचारों का माध्यम है
- विज्ञान के अध्ययन से मस्तिष्क को प्रशिक्षण प्राप्त होता है
- विज्ञान की प्रक्रिया परीक्षण एवं प्रयोग के परिणामस्वरुप विकसित होती है।
- विज्ञान में मापन परिणाम तथा दिशा आदि का भी अध्ययन किया जाता है।
- विज्ञान में सामान्यीकरण के आधार पर आवश्यक निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
- विज्ञान में वैज्ञानिक साधनों का प्रयोग किया जाता है
- विज्ञान की प्रकृति निश्चित, पूर्ण, वैध, विश्वसनीय वस्तुनिष्ठ तथा सत्यापनी होती है
- विज्ञान सार्वभौमिक होती है
- विज्ञान चिंतन की एक विधि है जो नवीन जान को विकसित करती है।
- विज्ञान पूरी तरह वस्तुनिष्ठ है
- विज्ञान के ज्ञान का आधार हमारी ज्ञानेंद्रियाँ हैं।
- विज्ञान का ज्ञान सुव्यवस्थित क्रमबद्ध तार्किक और अधिक स्पष्ट होता है।
- विज्ञान में सूचनाओं, तथ्य, संप्रत्यय (Concept), सामान्यीकरण, नियम, सिद्धांत तथा इसे निर्मित सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक ज्ञान का अथाह भंडार प्राप्त होता है।
विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य
प्रयोगात्मक मूल्य या दैनिक जीवन संबंधी लाभ
जीवन पूर्णतया विज्ञान में हो गया है विज्ञान के अध्ययन से जो ज्ञान हमें मिलता है वह हमारे जीवन के मार्गदर्शन में अन्य बातों से कहीं अधिक उपयोगी है
बौद्धिक मूल्य
विज्ञान का अध्ययन मानसिक शक्तियों को पूर्ण रूप से विकसित करने का अवसर देता है तर्कशक्ति कल्पना शक्ति स्मरण शक्ति निरीक्षण शक्ति अन्वेषण शक्ति एकाग्रता मौलिकता चिंतनशीलता तर्क संवत एवं नियमित विचार शक्ति आदि सभी मानसिक शक्तियों का समुचित विकास विज्ञान के अध्ययन से सोते ही हो जाता है
अनुशासन संबंधी मूल्य :-
विज्ञान विषय बालक के व्यक्तित्व को संयमशील, विवेक पूर्ण गंभीर एवं चिंतनशील बनता है दृष्टिकोण को निश्चित करने तथा विचार श्रृंखला को व्यवस्थित करने में विज्ञान के अध्ययन से सहायता मिलती है।
सांस्कृतिक मूल्यः
किए गए नवीनतम वैज्ञानिक आविष्कारों एवं उपलब्धियां को चार संचित करती है वह वैज्ञानिक प्रतिभाओं का उपयोग करके परीक्षण द्वारा उनमें संशोधन एवं परिवर्तन लाते रहते हैं
नैतिक मूल्यः
सच्चाई ईमानदारी समय की पाबंदी कर्तव्य निष्ठा धैर्य शीलता आत्म नियंत्रण आत्म सम्मान आत्मविश्वास दूसरे के विचारों का आदर करना ।
कलात्मक एवं सौंदर्यात्मक मूल्यः
आविष्कार मनोरंजन समय का सदुपयोग रुचिकर कार्य 1
सामाजिक मूल्य:
छात्रों को सामाजिक विकास की प्रक्रिया में सहायता देना तथा उनमें विभिन्न सामाजिक गुर्णों एवं आदर्शों का विकास करना।
मनोवैज्ञानिक मूल्य:
विज्ञान के ज्ञान द्वारा छात्रों की विभिन्न मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की पूर्ति तथा उनकी स्वाभाविक रुचियां का विकास करने में सहायता देता है।
विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य को वर्तमान रूप प्रदान करने हेतु शोथ व सैद्धांतिक चरणों की एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। नेशनल सोसायटी फॉर द स्टडी ऑफ एजुकेशन इयर बुक अमेरिका 1994 में निम्न उद्देश्यों का उल्लेख किया गया है-
1. तथ्यों की क्रियात्मक सूचना प्रदान करना।
2. क्रियात्मक संकल्पनाएँ बनाने में सक्षम बनाना।
3. विज्ञान में रुचि उत्पन्न करना।
4. वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करना।
5. यांत्रिक कौशल का विकास करना।
6. विज्ञान संरचना की प्रशंसा व उनके प्रयोग को समझना।
7. सिद्धांतों का क्रियात्मक अवबोध सुनिश्चित करना।
8. समस्या समाधान संबंधी कौशल का विकास करना।
ब्लूम के शैक्षिक उद्देश्यों के वर्गीकरण को व्यवहारिक रूप से जटिल अनुभव किया गया। अतः इसे व्यवहारिक रूप देने का प्रयत्न किया गया। ब्लूम के वर्गीकरण के आधार पर एन.सी.ई.आर.टी. ने शैक्षिक उद्देयों का वर्गीकरण किया है।
ये अधिगम (Learning), अनुदेशन (Instruction), मूल्यांकन (Evaluation) व प्रतिपुष्टि (Feedback) हेतु व्यवहारिक है। विज्ञान विषय के अनुदेशन में भी इन्हीं उद्देश्यों को स्वीकार किया गया है। ये निम्न हैं-
1. ज्ञानात्मक उद्देश्यः- इसे दो भागों में वर्गीकृत किया गया है-
(अ) पुनः स्मरण (Recall)
(ब) पहचान (recognition)
(अ) पुनः स्मरण (Recall) विषयवस्तु की दृष्टि से पुनः स्मरण को निम्न रूप में सूचीबद्ध कर सकते हैं-पद, परिभाषाएँ, तथ्य, तकनीक, विधियों, नियम, सिद्धांत, संकेत, सूत्र आदि का पुनः स्मरण।
(ब) पहचान (recognition) पद, परिभाषा, तथ्य, तकनीक, विधि, नियम, सिद्धांत आदि को पहचानना।
2. अवबोधात्मक उद्देश्यः-
1. अंतर करना (To Differentiate)
2. समानता मालूम करना (To Find similarity)
3. तुलना करना (To compare)
4. स्वयं के शब्दों में परिभाषा देना (To define in own words)
5. अनुवाद करना (To translate)
6. उदाहरण प्रस्तुत करना (To give example)
7. वर्गों में बाँटना (To classify)
8. सही स्थिति बताना (To locate correctly)
9. त्रुटि पता करना (To finding errors)
10. सही मिलान करना (To match correctly)
11. स्पष्ट करना (To explain)
12. विवरण देना (To describe)
13. कार्य प्रभाव संबंध पता लगाना (To find cause and effect relations)
14. अंदाज लगाना (To infer)
15. उद्धरण देना (To give illustrations)
3.अनुप्रयोगात्मक उद्देश्य:- इसका अर्थ ज्ञान, अवबोध व कौशल को नवीन समस्या के समाधान हेतु उपयोग में लाना है।
1. विश्लेषण करना (To analyse)
2. संश्लेषण करना (To synthesis)
3. गणना करना (To Compute)
4. भविष्यवाणी करना (To predict)
5. परिकल्पना तैयार करना (To formulate hypothesis)
6. सुझाव प्रस्तुत करना (To suggest)
7. सावधानी बरतना (To take precautions)
8. हेर-फेर करना (To manipulate)
9. तर्क प्रस्तुत करना (To reason)
4. कौशलात्मक उद्देश्यः
- सही ढंग से नाम अंकित कर चित्र बनाना (Draw labelled diagram correctly)
- प्रयोग हेतु यंत्र उचित रूप से स्थापित करना (To set apparatus)
- प्रतिरूप बनाना (To make model)
- प्रयोग सही ढंग से संपादित करना (To conduct experiment correctly)
- त्रुटि का पता लगाकर उनमें सुधार करना
- यंत्रों का प्रयोग कर सकने की प्रवीणता उत्पन्न करना ।
5. अभिरुच्यात्मक उद्देश्य :
- वैज्ञानिकों की जीवनियों को पढ़ना।
- विज्ञान अध्यापक एवं विद्यार्थियों के मध्य मधुर संबंध स्थापित होना।
- विद्यार्थी विद्यार्थी के मध्य मधुर संबंध स्थापित होना ।
- समस्या को हल करने में निरंतर प्रयत्नशील रहना
- समस्याओं से संबंधित अधिक से अधिक प्रश्न पूछना
- विज्ञान से संबंधित चित्रों को एकत्रित कर एल्बम बनाना
- विज्ञान के क्लबों की क्रियाओं में रुचि लेना
6. अभिवृत्यात्मक उद्देश्यः-
- विज्ञान के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखना।
- कार्य को व्यवस्थित तरीके से करने की आदत डालना
- अपनी गलतियों को स्वीकार करना
- असफलताओं से विचलित न होना
- प्रत्येक कार्य को आत्मविश्वास एवं धैर्य के साथ करना।