Sunday, August 9, 2020

पद्य शिक्षण विधियां Part 1

 पद्य शिक्षण विधियाँ Part 1


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परिभाषा :-

 आचार्य विश्वनाथ :-  रस पूर्ण वाक्य ही काव्य है ।

आचार्य जगन्नाथ :- सुंदर अर्थ बताने वाले शब्द ही पद्य हैं।

HW अर्डेन:- शब्दों से खेलना ही पद्य है ।




पद्य शिक्षण के उद्देश्य

1 अनुभूति 

2 सौंदर्य अनुभूति 

3 कल्पना शक्ति का विकास 

4 पूर्ण मनोयोग के साथ कविता सुनने के योग्य बनाना

 5 कविता के प्रति रुचि व प्रेम उत्पन्न करना

 6 कविता की विभिन्न शैलियों से परिचय करवाना 

7 छंद अलंकार रस आदि का ज्ञान देना 

8 छात्रों को अपने देश की संस्कृति धर्म दर्शन आदि की जानकारी देना। 


कविता शिक्षण में छात्रों में रुचि का विकास करने के साधन :- 

1 कविता का प्रभावशाली सस्वर वाचन करना 

2 कविता कंटेस्ट करके बच्चों को सुनाना

 3 विभिन्न उत्सवों पर कविता पाठ का आयोजन करना ।

4 अंत्याक्षरी प्रतियोगिता का आयोजन करवाना

 5 किसी विषय विशेष पर कविता पाठ करवाना ।

6 कविता पाठ प्रतियोगिता का आयोजन करवाना।



पद्य शिक्षण की विधियां:- 

1 अभिनय विधि :- 

यह पद्य शिक्षण की सर्वश्रेष्ठ विधि है क्योंकि इसमें अध्यापक अभिनय व गीत की सहायता से पद का शिक्षण करता है जिससे कक्षा में एक स्वस्थ वातावरण बनता है।

  •  इसमें बाल गीतों के साथ अभिनय करते हुए कविता का शिक्षण करवाया जाता है ।
  • इस विधि में  उद्दीपन कौशल का उपयोग किया जाता है ।
  • प्राथमिक स्तर के लिए उपयोगी है।
  •  इस विधि में रस अनुभूति होती है ।
  • अतः यह विधि बाल केंद्रित विधि तथा मनोवैज्ञानिक विधि है ।
  • इस विधि से स्थाई ज्ञान की प्राप्ति होती है।



2 गीत विधि :-

 कविता शिक्षण की सबसे उत्तम प्रणाली गीत विधि को माना गया है क्योंकि इस विधि में कविता में आने वाले उतार-चढ़ाव का ध्यान रखते हुए लय व ताल के साथ कविता का सस्वर वाचन करना है  ।

  • इस विधि में अध्यापक एक पंक्ति गाता है तथा बाद में विद्यार्थी उसका अनुकरण करते हैं ।
  • जैसे :- जॉनी जॉनी यस पापा ॰॰॰॰॰॰ इस कविता को याद कराना।


3 अर्थ बोध प्रणाली :-

  •  यह विधि गीत प्रणाली से एक स्तर आगे है।
  •  इस विधि में अध्यापक एक पंक्ति को स्वयं गाता है तथा विद्यार्थी उसका अनुकरण करते हैं बाद में वह उस पंक्ति का अर्थ विद्यार्थियों को समझाता है ।
  • इस विधि में गीत का प्रभाह बीच-बीच में रुक जाता है ।
  • इसमें कविता को गद्य की तरह पढ़ाया जाता है।
  •   सबसे नीरस विधि है अतः विद्यार्थियों की रुचि व तारतम्यता में बाधा आती है । यह विधि उच्च प्राथमिक स्तर पर उपयोगी है ।
  • यह एक अमनोवैज्ञानिक विधि है।


4 व्याख्यान विधि :- 

  • इसमें अध्यापक पद्य का वाचन करता है तथा शब्दश: बालकों को अर्थ समझाता है 
  • इस विधि में केवल अध्यापक ही सक्रिय रहता है ।
  •  यह विधि माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक स्तर पर उपयोगी है ।

व्याख्यान विधि के तीन चरण होते हैं 

1 प्रसंग :- इसमें कवि तथा कविता का परिचय दिया जाता है।

2 व्याख्या :-  इसमें कठिन निवारण किया जाता है 

प्रवचन द्वारा :- 

 विलोम शब्द पर्यायवाची द्वारा अर्थ बताया जाता है इसमे सीधा अर्थ नहीं बताया जाता है।

व्याख्या द्वारा :-

 दृष्टांत उदाहरण जिससे बालक अर्थ बता दें।

 व्याकरण द्वारा :-  

संधि समास उपसर्ग आदि के द्वारा अर्थ बताया जाता है ।

3 विषय:-  भाव विशेष छंद अलंकार इन के बारे में बताया जाता है ।

यह विधि अमनोवैज्ञानिक  विधि है।


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