Sunday, August 9, 2020

पद्य शिक्षण विधियां Part 2

 पद्य शिक्षण विधियां Part 2 





1 खण्डान्वय विधि:- 

  • दूसरा नाम:-  प्रश्नोत्तर विधि 
  • प्रवर्तक :- सुकरात।
  •  अध्यापक पूरे पद्य( ऐतिहासिक महत्व की ) को छोटे-छोटे खंडों में विभक्त कर लेता है और इन खंडों की अलग-अलग व्याख्या करता है ।
  • फिर सभी खंडों को जोड़कर पूरे पद्य की व्याख्या करता है एवं अर्थ समझाता है ।
  • यह विधि अध्यापक केंद्रित है ।
  • उच्च प्राथमिक स्तर पर उपयोगी है।



2  व्यास विधि :-

  •  प्रवर्तक महर्षि वेदव्यास ।
  • व्यास विधि व्याख्या विधि का ही रूप है ।
  • भावात्मक पाठ के लिए सर्वश्रेष्ठ विधि है ।
  • इस विधि में अध्यापक पूरे पद्य को पूर्ण विस्तार के साथ अध्ययन करवाता है।
  •  अध्ययन के बीच बीच में उदाहरण दृष्टांत संबंधित बातें भी बताता है।
  •  छात्रों को इस विधि द्वारा रसानुभूति  होती है।
  •  यह विधि माध्यमिक व उच्च माध्यमिक कक्षाओं के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
  •  इस विधि में समय अधिक लगता है अतः विद्यालय स्तर पर यह विधि उपयुक्त नहीं है।
  • अमनोवैज्ञानिक विधि है।



3  समीक्षा विधि :-


  • इससे विधि में छात्र स्वयं गुण दोष की समीक्षा करता है
  • अध्यापक केवल संदर्भ ग्रंथों की जानकारी देता है 
  • इस विधि में छात्र सक्रिय रहता है ।
  • यह विधि भी व्याख्या विधि का ही एक रूप है ।
  • यह पूर्ण विधि है जो व्याख्या विधि के बाद प्रयोग में लाई जाती है ।
  • मनोवैज्ञानिक विधि है।
  •  



4  तुलना विधि  :- 

समभाव वाली रचनाओं के द्वारा तुलना करके अध्ययन करवाया जाता है 

जैसे 1 कवि की अन्य रचना के साथ तुलना करना जिसमें लगभग मिलती-जुलती बात कही गई हो।

 2अन्य कवि की रचना से तुलना करना 

3 अन्य भाषा के कवि के साथ तुलना करना।

  •  यह विधि माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर पर उपयोगी है ।
  • इस विधि में रस अनुभूति होती है ।
  • इस विधि में सबसे ध्यान रखने वाली बात यह है कि अध्यापक को स्वाध्यायी व पारंगत होना चाहिए।
  • इस विधि द्वारा बालकों के ज्ञान व तर्क शक्ति में वृद्धि होती है। 


5 रसास्वादन विधि :- 

  • रसास्वादन विधि का प्रयोग कविता पाठ करने में किया जाता है ।
  • इस विधि का उद्देश्य बालकों को रस व आनंद की प्राप्ति करने में सक्षम बनाना है।
  •  यह विधि प्राथमिक स्तर पर उपयोगी है ।
  • मनोवैज्ञानिक विधि है।
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