पद्य शिक्षण विधियां Part 2
1 खण्डान्वय विधि:-
- दूसरा नाम:- प्रश्नोत्तर विधि
- प्रवर्तक :- सुकरात।
- अध्यापक पूरे पद्य( ऐतिहासिक महत्व की ) को छोटे-छोटे खंडों में विभक्त कर लेता है और इन खंडों की अलग-अलग व्याख्या करता है ।
- फिर सभी खंडों को जोड़कर पूरे पद्य की व्याख्या करता है एवं अर्थ समझाता है ।
- यह विधि अध्यापक केंद्रित है ।
- उच्च प्राथमिक स्तर पर उपयोगी है।
2 व्यास विधि :-
- प्रवर्तक महर्षि वेदव्यास ।
- व्यास विधि व्याख्या विधि का ही रूप है ।
- भावात्मक पाठ के लिए सर्वश्रेष्ठ विधि है ।
- इस विधि में अध्यापक पूरे पद्य को पूर्ण विस्तार के साथ अध्ययन करवाता है।
- अध्ययन के बीच बीच में उदाहरण दृष्टांत संबंधित बातें भी बताता है।
- छात्रों को इस विधि द्वारा रसानुभूति होती है।
- यह विधि माध्यमिक व उच्च माध्यमिक कक्षाओं के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
- इस विधि में समय अधिक लगता है अतः विद्यालय स्तर पर यह विधि उपयुक्त नहीं है।
- अमनोवैज्ञानिक विधि है।
3 समीक्षा विधि :-
- इससे विधि में छात्र स्वयं गुण दोष की समीक्षा करता है
- अध्यापक केवल संदर्भ ग्रंथों की जानकारी देता है
- इस विधि में छात्र सक्रिय रहता है ।
- यह विधि भी व्याख्या विधि का ही एक रूप है ।
- यह पूर्ण विधि है जो व्याख्या विधि के बाद प्रयोग में लाई जाती है ।
- मनोवैज्ञानिक विधि है।
4 तुलना विधि :-
समभाव वाली रचनाओं के द्वारा तुलना करके अध्ययन करवाया जाता है
जैसे 1 कवि की अन्य रचना के साथ तुलना करना जिसमें लगभग मिलती-जुलती बात कही गई हो।
2अन्य कवि की रचना से तुलना करना
3 अन्य भाषा के कवि के साथ तुलना करना।
- यह विधि माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर पर उपयोगी है ।
- इस विधि में रस अनुभूति होती है ।
- इस विधि में सबसे ध्यान रखने वाली बात यह है कि अध्यापक को स्वाध्यायी व पारंगत होना चाहिए।
- इस विधि द्वारा बालकों के ज्ञान व तर्क शक्ति में वृद्धि होती है।
5 रसास्वादन विधि :-
- रसास्वादन विधि का प्रयोग कविता पाठ करने में किया जाता है ।
- इस विधि का उद्देश्य बालकों को रस व आनंद की प्राप्ति करने में सक्षम बनाना है।
- यह विधि प्राथमिक स्तर पर उपयोगी है ।
- मनोवैज्ञानिक विधि है।
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