एक
ईरानी ईसाई उम्मेद दरगाह
के पास
पनाह
लेकर
अनार अमरूद गुलकंद जलेबी
बेचता था
सुबह पैगम्बर को आईने
में देखकर खुले
आसमान
के नीचे
आसमानी करास्तानी
की हुई
खाकी
रंग की
दर्जी से सिलवाई
हुई जेब में चाकू
लेकर सीना
तान कर नीम के नीचे ठेला लगाता था
बाजार में नाचीज नामर्द नाजायज बेहया बीमार
लोग भी दर्जी के पास
रफू कराने आते थे।
एक दिन
कमीना खुदगर्ज कल्ला गुलजार तमन्चा
लेकर बस में सवार होकर खून करने के
बाबत खानदान को मिटाने आ गया
उसकी मैयत पर राहगीर और हिन्दी भाषी
लोग भी आये
Bold शब्द 2 3 बार ध्यान से पढ़े।
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