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Friday, August 28, 2020

NCF 2005 PART 2

NCF 2005- महत्वपूर्ण बातें:- 
आरंभिक स्तर पर अधिगम को कार्य तथा अनुभव से जोड़ना।
कला शिक्षा हर स्तर पर एक विषय के रूप में लागू हो जिसमें कला के चारों पहलू नृत्य नाटक संगीत दृश्य कला में शामिल हो ।
शांति के लिए शिक्षा को शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में शामिल करना।
 शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम की अवधि बढ़ाना ताकि इंटरशिप के माध्यम से शिक्षा शास्त्र के सिद्धांतों को व्यवहारिक रूप दिया जा सके ।
स्थानीय स्तर पर विद्यालय के कैलेंडर को लचीला बनाना।
मानचित्रकरण द्वारा उन इलाकों की पहचान करना जहां पर छात्र स्थानीय दक्ष कारीगरों से प्रशिक्षण प्राप्त कर सके।
ncf-2005 निर्मित वाद की अवधारणा को मान्यता देता है जिसके अनुसार बालक सक्रिय होकर स्वयं ज्ञान का निर्माण करता है तथा शिक्षक सुविधाप्रदाता सहजकर्ता  की भूमिका निभाता है।
ncf-2005 की मान्यता है कि परीक्षा एच्छिक हो तथा प्रश्न पत्र में कम से कम 25% से 40% तक प्रश्न वस्तुनिष्ठ हों। 
ncf-2005 का उद्देश आरंभिक पीढ़ी  को धर्म,जाति,भाषा,लिंग,क्षेत्र अथवा शारीरिक क्षमताओं की चुनौतियों से रखते हुए शारीरिक व मानसिक प्रदान करते हुए शिक्षा उपलब्ध कराना है।
प्रोफेसर यशपाल सिंह के अनुसार विद्यालय स्तर पर विद्यार्थियों से प्रोजेक्ट वर्क करवाने पर बल दिया गया।

ncf-2005 करके सीखने से संबंधित है ।
ncf-2005 दो विशिष्ट सूत्रों का पालन करता है - ज्ञात से अज्ञात,  मूर्त से अमूर्त।
 ncf-2005 त्रिभाषा सूत्र का पालन करता है- हिंदी ,अंग्रेजी ,मातृभाषा ।
ncf-2005  शिक्षा के क्षेत्र में क्रियात्मक अनुसंधान पर बल देता है ।
ncf-2005 आत्मनिर्भर बनाने वाली जीवन उपयोगी शिक्षा पर बल देता है ।
ncf-2005 के अनुसार पाठ्यक्रम लचीला होना चाहिए जिसमें आवश्यकता अनुसार परिवर्तन किया जा सके ।
ncf-2005 कल्पनाशीलता तथा  मौलिक लेखन कार्य को महत्वपूर्ण मानता है ।
ncf-2005 के द्वारा समावेशी शिक्षा की अवधारणा प्रस्तुत की गई ।
नवीन शिक्षण विधियों के प्रयोग पर बल 
नवीन तकनीक के प्रयोग को मान्यता
पाठ्य सहगामी क्रियाओं की अनिवार्यता 
बाल केंद्रितता को महत्वपूर्ण स्थान
छात्रों के सर्वांगीण विकास पर बल
शिक्षा को व्यवसायोन्मुखी  बनाने का प्रयास 
मानसिक स्तर एवं योग्यता के अनुसार पाठ्यक्रम का निर्धारण 
परीक्षा प्रणाली में सुधार का आयोजन
निरंतर व व्यापक मूल्यांकन (CCE) की व्यवस्था 
पाठ्यचर्या में पर्यावरण शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान 
स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा को विद्यालय शिक्षा का अनिवार्य भाग बनाया जाए 
ncf-2005 के अनुसार पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धांत :- बाल केंद्रित पाठ्यक्रम 
उपयोगिता का सिद्धांत
लचीलापन का सिद्धांत 
क्रियाशीलता का सिद्धांत
क्रमबद्धता का सिद्धांत
व्यापक एवं संतुलन का सिद्धांत
विभिन्न विषयों से सहसंबंध का सिद्धांत 
विभिन्न स्तरों के अनुसार पाठ्यक्रम 
मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों के अनुरूप पाठ्यक्रम।

NCF 2005 Part 1



Credit NCERT DELHI 


National Curriculum Framework 2005 (NCF 2005)

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 की रूपरेखा

शिक्षण अधिगम प्रक्रिया मुख्य रूप से पाठ्यक्रम पर ही निर्भर करती है वास्तविक रूप से पाठ्यक्रम ही वह साधन है जो कि अध्यापक तथा विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करता है ।

पाठ्यक्रम का अर्थ :- करिकुलम शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के कोरियर(CURRERE) से हुई है जिसका अर्थ है दौड़ का मैदान।

पाठ्यक्रम दौड़ का मैदान है जिस पर बालक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दौड़ता है ।

कनिंघम के अनुसार :- कलाकार(शिक्षक) के हाथ में यह(पाठ्यक्रम)  एक साधन है जिससे वह पदार्थ(छात्र)  को अपने आदर्श(ऊद्देश्य) के अनुसार अपने स्टूडियो(विद्यालय) में चित्रित कर सके।

मुनरो के अनुसार :- पाठ्यचर्या में वे समस्त अनुभव निहित होते हैं जिनको विद्यालय द्वारा शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए उपयोग में लाया जाता है ।

पाठ्यक्रम छात्र एवं अध्यापक को जोड़ने वाली कड़ी है ।

माध्यमिक शिक्षा आयोग 1952-53 के अनुसार :- पाठ्यक्रम का अभिप्राय उन सैद्धांतिक विषयों से नहीं है जो विद्यालय में परंपरागत तरीके से पढ़ाए जाते हैं बल्कि इनमें अनुभवों का एक समूह है तो जिनको बालक कक्षा, पुस्तकालय ,प्रयोगशाला ,प्रार्थना सभा ,कार्यशाला ,खेल मैदान एवं छात्र अध्यापक के अनौपचारिक मेल मिलाप से प्राप्त करता है ।

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 की आवश्यकता क्यों ....?

  1. नैतिक एवं मानवीय मूल्यों में वृद्धि करना ।
  2. कक्षा कक्ष शिक्षण को प्रभावशाली बनाने हेतु नवीन पाठ्यक्रम की आवश्यकता पर बल ।
  3. विद्यार्थियों की जरूरतों एवं रुचि को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम के निर्माण की आवश्यकता ।
  4. अध्यापकों की संतुष्टि के लिए पाठ्यक्रम निर्माण उनकी सहायता करना ।
  5. शैक्षिक लक्ष्यों की प्राप्ति ,शिक्षण विधियों में सुधार एवं विकास हेतु राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की आवश्यकता का होना।
  6. भाषा समस्या के निदान हेतु नवीन पाठ्यक्रम संरचना की आवश्यकता ।

  • प्रथम NCF 1975
  • द्वितीय NCF 1988 
  • तृतीय NCFSE  2000 
  • चतुर्थ NCF -2005।

 NCF 2005  रविंद्र नाथ टैगोर के निबंध सभ्यता और प्रगति के एक उद्धरण से प्रारंभ होता है :-

"  उदार आनंद एवं सृजनात्मकता बचपन की कुंजी है किंतु नासमझ वयस्क संसार द्वारा इनकी विकृति का खतरा है"

NPE 1986 (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) :-  NPE1986 में इस बात पर बल दिया गया कि पाठ्यचर्या को भारतीय संविधान में वर्णित राष्ट्रीय चरित्र के निर्माण की पृष्ठभूमि तैयार करनी चाहिए।

POA 1992( प्रोग्राम ऑफ एक्शन 1992)  में प्रासंगिकता,गुणवत्ता, लचीलापन के तत्व पर बल देते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों का क्रियान्वयन किया गया।

 यशपाल समिति 1993 में "बिना बोझ के शिक्षा " LEARNING WITHOUT BURDEN " की सिफारिश की 

बिना बोझ की शिक्षा  - तनाव रहित शिक्षा।

निदेशक - प्रोफेसर कृष्ण कुमार ।

अध्यक्ष -  प्रोफेसर यशपाल ।

यह विद्यालय शिक्षा का अब तक का नवीनतम राष्ट्रीय दस्तावेज है।

Ncf-2005 के अंश/ भाग / अध्याय :- 

  • परिप्रेक्ष्य 
  • सीखने का ज्ञान 
  • पाठ्यचर्या के क्षेत्र स्कूल की अवस्थाएं एवं आकलन 
  • विद्यालय का कक्षा का वातावरण 
  • व्यवस्थागत सुधार

NCFSE  2000 की समीक्षा के लिए गठित यशपाल सिंह समिति के अलावा 21 फोकस समूहों का गठन किया गया 

NCERT  के 5 और क्षेत्रीय कार्यालय ,विभिन्न राज्यों की परीक्षा बोर्ड, शिक्षा सचिव ,शिक्षाविदों  तथा आम जनता के विस्तृत विचार विमर्श के बाद ncf-2005 को मंजूरी दी।

NCERT  1961 नई दिल्ली ।

SIERT  1978 उदयपुर ।

 DIET - NPE  1986 के प्रावधानों के तहत ।

NCERT  के 5 क्षेत्रीय कार्यालय ।

  1. अजमेर -राजस्थान 
  2. भोपाल- म प्र
  3. मैसूर -कर्णाटक
  4. भुवनेश्वर -उड़ीसा
  5. शिलांग -मेघालय 

ncf-2005 का 22 भाषा में अनुवाद किया गया है तथा वर्तमान में यह 17 राज्यों में लागू है ।

ncf-2005 की संचालन समिति में 35 सदस्य हैं जिनमें राजस्थान की एकमात्र सदस्य रोहित धनखड़ हैं ।

ncf-2005 के तहत यह प्रावधान है कि बालक की प्राथमिक स्तर की शिक्षा स्थानीय भाषा अर्थात घरेलू भाषा में होनी चाहिए यदि प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा या स्थानीय भाषा के शिक्षक उपलब्ध ना हो तो संविधान के अनुच्छेद 350 का के तहत स्थानीय शिक्षा अधिकारियों को बालक की भाषा विकास के लिए सुविधा उपलब्ध करवाना अनिवार्य है । राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में 5वी तक मातृभाषा में पढ़ाने के आदेश दिये हैं।

  • ncf-2005 के निदेशक तत्व विद्यालय का माहौल पाठ्यचर्या का हिस्सा हो।
  • पढ़ाई को रटंत प्रणाली से मुक्त किया जाए
  • छात्रों को चहुंमुखी विकास के अवसर दें ।
  • परीक्षा को कक्षा की गतिविधि से जोड़ दें ।(खुली किताब परीक्षा) 
  • प्रजातांत्रिक ढांचे को मजबूत बनाना ।
  • ncf-2005 चार महत्वपूर्ण विषयों के बारे में सुझाव देता है 

भाषा ,गणित ,सामान्य विज्ञान, सामाजिक विज्ञान ।

भाषा:-  त्रिभाषा सूत्र की संस्तुति (NPE 2020 में

  1. प्रथम भाषा :- राज्य/ राष्ट्रीय भाषा -हिंदी 
  2. द्वितीय भाषा :- अंतर्राष्ट्रीय भाषा -अंग्रेजी 
  3. तृतीय भाषा :- स्थानीय भाषा -संस्कृत, पंजाबी ,गुजराती, मारवाड़ी इत्यादि।

 सर्वप्रथम कोठारी आयोग 1964-66 ने सुझाव दिया शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो ।

  • अंग्रेजी पहली कक्षा से ही अनिवार्य हो।
  • बहुभाषिक प्रवीणता का विकास हो ।
  • भाषाई कौशलों का विकास हो ।
  • आरंभिक स्तर पर पढ़ने (READING) विशेष बल।
  •  गणित:- बालकों को अनुभव से गुथी हुई गणित पढ़ाना।
  • उनकी वैचारिक प्रक्रिया का गणितीकरण करना ।
  • बालकों में अमूर्तनों  की संकल्पना तथा तार्किक चिंतन का विकास।
  •  प्रत्येक विद्यालय में कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, इंटरनेट आदि कनेक्टिविटी की ढांचागत सुविधा उपलब्ध कराना।
  • सामान्य विज्ञान:- बालकों को दैनिक जीवन के अनुभवों का विश्लेषण करने तथा उनकी सत्यता की जांच करने में सक्षम बनाना।
  • बाल विज्ञान कांग्रेस की तर्ज पर देश में एक सामाजिक आंदोलन चलाना ताकि अन्वेषण का माहौल पैदा हो सके।
  • बालकों को ज्ञान परियोजनाओं के माध्यम से देना चाहिए।

सामाजिक विज्ञान :-  जेंडर के संबंध में न्याय।

 एससी एसटी के मामलों में जागरूकता तथा अल्पसंख्यकों के प्रति संवेदनशीलता ।

ज्ञान के विशिष्ट क्षेत्रों की खोज उदाहरण के लिए पानी जैसे मुद्दों का समाकलन ।

स्थानीय निकायों को मजबूत बनाना ।



शिक्षण अधिगम सामग्री

शिक्षण अधिगम सामग्री :- शिक्षण सामग्री वे साधन है जिन्हें हम आंखों से देख सकते हैं कानों से उनसे संबंधित ध्वनि सुन सकते हैं वे प्रक्रियाएं ज...