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Thursday, April 4, 2024

हिन्दी शिक्षण विधि अभ्यास प्रश्न


अभ्यास प्रश्न


1 अनुकरण विधि में 'भाषा' और 'शैली' से संबंधित सही उत्तर है-

(अ) दोनों  छात्र की  (स) शिक्षक, छात्र की

(बु) छात्र, शिक्षक की (द) दोनों शिक्षक की

Ans ब) 

 2. अनुकरण विधि किस कक्षा स्तर के लिए उपयुक्त है? 

(अ) उच्च स्तर

(ब) प्राथमिक स्तर

(स) सभी स्तर

(द) माध्यमिक स्तर

Ans द) 

3 . अनुकरण विधि का प्रयोग किया जाता है-

(अ) रचना शिक्षण में

(ब) द्वितीय भाषा शिक्षण में

(स) अभिव्यक्ति की शिक्षा में

(द) उपर्युक्त सभी में

Ans द) 

4. अनुकरण विधि का उच्च स्तर पर परिष्कृत रूप है-

(अ) आगमन विधि

(ब) उ‌द्बोधन विधि

(स) आदर्श विधि

(द) रूपरेखा विधि

Ans स) 

5. बच्चों को लेखन (अक्षर) का अभ्यास कराने में उपयुक्त विधि है-

अ) अनुकरण विधि

ब) आगमन विधि

स) अर्थबोध विधि

द) रूपरेखा विधि

Ans अ) 

6. छात्रों को नवीन परिस्थितियों से उचित सामना करने में समर्थ बनाने वाली विधि है-

(अ) निरीक्षण विधि (स) निगमन विधि

(ब) इकाई विधि (द) सूत्र विधि

Ans ब) 

7. इकाई विधि का दोष है-

(अ) कौशल अविकसित करना

(ब) क्रमिकता का अभाव 

(स) प्रशिक्षण की विधि होना

(द) शिक्षण सामग्री का बंटवारा

Ans ब) 

8. इकाई विधि का सबसे बड़ा गुण है-

अ) प्राकृतिक परिस्थितियों द्वारा कौशल विकास

ब) एक इकाई को समग्र शिक्षण करना

स) शिक्षण सामग्री को क्रमिकता से प्रस्तुत करना

द) इनमें से कोई नहीं

Ans अ) 

9. प्रत्यक्ष विधि का द्वितीय भाषा सिखाने का मुख्य सिद्धांत नहीं है

अ) बातचीत द्वारा

ब) व्याकरण द्वारा

स) मौखिक अभ्यास द्वारा

द) व्यावहारिक रूप में

Ans ब) 

10. प्रत्यक्ष विधि से किस प्रणाली विधि के दोष स्वयं दूर हो जाते है

(अ) व्याकरण-अनुवाद (ब) भाषा-वैज्ञानिक

(स) सैनिक-विधि       द) गठन-पद्धति

Ans अ) 

11. निम्न में से प्रत्यक्ष विधि के संबंध में सत्य है- 

(अ) सभी संज्ञा शब्दों का ज्ञान कराती है।

(ब) सभी वाक्यों रचनाओं का ज्ञान कराती है। 

(स) उपर्युक्त दोनो

(द) इनमें से कोई नहीँ। 

Ans द)

12. प्रत्यक्ष विधि से संबंधित असत्य कथन है-

अ) व्याकरण सहायता का अभाव

ब) व्यावहारिकता पर बल

स) अनुवाद का अभाव

द) सैद्धान्तिकता पर भी बल

Ans  द) 

13. द्वितीय भाषा शिक्षण की सर्वाधिक प्रचलित एवं प्राचीनतम पद्धति है

अ) प्रत्यक्ष विधि

ब) व्याकरण-अनुवाद

स) भाषा वैज्ञानिक विधि

द) आगमन विधि

Ans  ब) 

14. किस विधि पर द्वितीय भाषाओं की 'स्वयं शिक्षण मालाएँ' आधारित है-

(अ) व्याख्यान

(ब) प्रत्यक्ष विधि

(स) व्याकरण-अनुवाद

(द) आगमन विधि

Ans स) 

15. कौनसा अनुवाद व्याकरण विधि का दोष है?

(क) अवैज्ञानिक पद्धति

(ख) भाषा गठन की समस्या

(ग) अनुवाद पर अधिक बल

(घ) समानार्थी शब्दों की समस्या

(अ) क, ग, घ

(ब) ख, ग, घ

(स) क, ख

(द) क, ख, ग, घ

Ans द) 

16. बोलने की अपेक्षा लिखने-पढ़ने पर तथा भाषा की अपेक्षा भाषा तत्वों पर अधिक बल देती है-

(अ) व्याकरण-अनुवाद विधि

(ब) भाषा-वैज्ञानिक विधि

(स) श्रव्य-भाष्य विधि

(द) आगमन-निगमन विधि

Ans अ) 

17.द्विभाषी विधि का प्रयोग उपयोगी है-

(अ) नर्सरी कक्षा

(ब) प्राथमिक कक्षा

(स) माध्यमिक कक्षा

(द) उच्च कक्षा

Ans द) 

18.द्विभाषी पद्धति है

(अ) मातृभाषा की

(ब) अन्यभाषा की

(स) दोनों की

(द) इनमें से कोई नहीं

Ans ब) 

19. निम्न में से द्विभाषी पद्धति से संबंधित सही कथन नहीं है-

(अ) अनुवाद शिक्षण द्वारा

(ब) सम्मेलनों व गोष्ठियों में प्रयोग

(स) छोटी कक्षाओं में असंभव

(द) मातृभाषा शिक्षण में उपयोगी '

Ans  द

20 किस विधि में भाषा संघटना पर बल दिया जाता है?

(अ) सैनिक विधि

(ब) प्रत्यक्ष विधि

(स) अनुवाद विधि

(द) सूत्र विधि

Ans अ) 

21. सेना विधि किस विधि के दोषों को दूर करती है?

(अ) सूत्र विधि

(ब) दूरस्थ शिक्षण 

(स) वाचन विधि 

(द) प्रत्यक्ष विधि

Ans द) 

22. कौनसी विधि 'आर्मी मैथड़' से संबंधित नहीं है?

(अ) श्रव्य-भाष्य

(ब) भाषा वैज्ञानिक

(स) अनुकरण-परिष्करण

(द) अन्तर्बोध

Ans द) 

23.निम्न में से कौनसा कथन सैनिक विधि के संबंध में गलत है

(अ) यह द्वितीय भाषा शिक्षण विधि है।

(ब) इसमें सिद्धान्तों की जगह कौशलों का अभ्यास कराया जाता है।

(स) यह मौखिक कथनों पर बल देती है।

(द) यह संवाद का अर्थ बताना, उसे याद कराती है।

Ans द) 

24. माइकिल सेमर (1535) द्वारा प्रतिपादित विधि है-

(अ) प्रत्यक्ष विधि

(ब) सैनिक विधि

(स) अभिक्रमित अधिगम

(द) ध्वन्यात्मक विधि

Ans द) 

25. ध्वन्यात्मक विधि में सर्वप्रथम सिखाएँ जाते है?

(अ) व्यंजन

(ब) वाक्य

(स) स्वर

(द) शब्द

Ans  स) 

26. ध्वन्यात्म विधि किस के आधार पर विकसित की गई है?

(अ) प्रत्यक्ष विधि

(ब) रोमन विधि

(स) सूत्र विधि

(द) व्याख्यान विधि

Ans  ब) 

27. कौनसा ध्वन्यात्मक विधि का दोष है?

(अ) वाचन शिक्षण में उपयोगी होना 

(ब) वर्ण-ध्वनि को अलग-अलग मानना

(स) केवल हिंदी शिक्षण में उपयोगी होना

(द) वर्ण पर अधिक बल देना

Ans  ब) 

28. दूरस्थ शिक्षण विधि किस शिक्षा से अधिक निकट है?

(अ) अनौपचारिक

(ब) निरोपचारिक

(स) औपचारिक

(द) पारम्परिक

Ans ब) 

29. किस शिक्षण बिधि में तकनीकी साधनों का प्रयोग किया जाता है

(अ) सूत्र विधि

(ब) व्याख्यान विधि

(स) दूरस्थ विधि

(द) श्रुत लेखन विधि

Ans  स) 

30. दूरस्थ विधि से संबंधित नहीं है-

(अ) स्वाध्ययन

(ब) तकनीकी सहायता

(स) व्यवस्थित सामग्री 

(द) नियन्त्रण

Ans द) 

31. दूरस्थ विधि से संबंधित कथन है-

(अ) प्रत्यक्ष शिक्षण कार्य

(ब) शिक्षण का भार बढ़ना

(स) व्यक्तिगत रूचि

(द) अनियमित योजना

Ans स) 

(37) निम्न में से मौन वाचन का प्रकार नहीं है-

(अ) अनुकरण वाचन 

(ब) वैयक्तिक वाचन

(स) द्रुतवाचन

(द) समवेत वाचन

Ans स) 

33. प्राथमिक कक्षाओं में 'उच्चारण शुद्धि' में उपयोगी शिक्षण विधि है। 

(अ) श्रुत लेखन विधि (ब) प्रत्यक्ष विधि

(स) वैयक्तिक मौन वाचन (द) वाचन विधि

Ans द) 

34.वाचन की कौनसी विधि संकोची छात्रों के लिए उपयोगी है?

(अ) वैयक्तिक वाचन

(ब) मौन वाचन

(स) समवेत वाचन

(द) आदर्श वाचन

Ans स

35. वाचन विधि से संबंधित लाभ नहीं है-

(अ) लिखित अभिव्यक्ति

(ब) स्वाध्याय में रूचि

(स) अर्थबोध में प्रभावी

(द) प्रवाहशीलता व स्पष्टता

Ans अ

36 . पर्यवेक्षित अध्ययन विधि में शिक्षक का कार्य नहीं है-

(अ) निरीक्षण

(ब) निर्देशन

(स) समस्या समाधान

(द) स्वाध्याय अध्ययन

Ans द 

37. पर्यवेक्षित अध्ययन विधि का अन्य या दूसरा नाम है-

(अ) निर्देशित स्वाध्याय प्रणाली

(ब) विश्लेषणात्मक प्रणाली

(स) अभिक्रमित अध्ययन प्रणाली

(द) साहचर्य प्रणाली

Ans अ

38. कौनसा सोपान पर्यवेक्षित अध्ययन विधि का नहीं है?

(अ) मूल्यांकन

(ब) क्रियान्वयन

(स) सामान्यीकरण

(द) नियोजन

Ans स

39. निम्न में से पर्यवेक्षित अध्ययन विधि का लाभ नहीं है-

(अ) स्वाध्याय की प्रेरणा

(ब) अर्थग्रहण में सहायक

(स) गद्य के विकास में अनुपयोगी

(द) अन्तःक्रिया में वृद्धि

Ans स

40. कहानी शिक्षण के कौशलात्मक उ‌द्देश्य हैं

(अ) घ्यानपूर्वक सुनने की दक्षता का विकास

(ब) मौखिक व लिखित आदि कौशलों को विकसित करना

(स) कहानी लेखन में निपुणता विकसित करना

(द) उक्त सभी

Ans द

41. आगमन व निगमन विधियों का मिश्रित रूप कहलाता है-

(अ) भाषा संसर्ग

(ब) विश्लेषणात्मक

(स) अभिक्रमित अनुकरण

(द) पर्यवेक्षितः अध्ययन

Ans ब

42 . आगमन-निगमन (विश्लेषणात्मक) विधि में प्रथम कार्य किया जाता है। 

(अ) विश्लेषण

(ब) सामान्यीकरण

(स) नियम बताना

( द) उदाहरण देना

Ans द

43.


विश्लेषणात्मक विधि सर्वाधिक उपयोगी है-

अ) रचना शिक्षण,

ब) व्याकरण शिक्षण

स) गद्य शिक्षण

द) पद्य शिक्षण

Ans ब

44. विश्लेषणात्मक विधि में कार्य करने व अनुसरण का सही क्रम है-

(अ) उदाहरण-विश्लेषण-सामान्यीकरण परीक्षण

(ब) उदाहरण-परीक्षण सामान्यीकरण-विश्लेषण

(स) उदाहरण-सामान्यीकरेण-परीक्षण-विश्लेषण

(द) उदाहरण-विश्लेषण-परीक्षण-सामान्यीकरण..

Ans अ

45. 'सक्रिय अनुबंध अनुक्रिया' सिद्धांत पर आधारित शिक्षण विधि है

(अ) अभिक्रमित अनुदेशन

(ब) भाषा प्रयोगशाला

(स) यन्त्र विधि

(द) दूरस्थ विधि

Ans अ

46. 'अभिक्रमित अनुदेशन' विधि से संबंधित नहीं है-

(अ) स्वगति

(ब) पुनर्बलन

(स) स्वयं परीक्षण

द) वृहद पद 

Ans द

47. 'अभिक्रमित अनुदेशन विधि' का लाभ नहीं है-

(अ) रूचिनुसार विषयवस्तु चयन

(ब) रचना शिक्षण में

(स) विदेशी भाषा में सुगम

(द) तर्कक्षमता में अनुपयोगी

Ans द

48. निम्न में से अभिक्रमित अनुदेशन का आधार नहीं है-

(अ) छोटे-छोटे पदों का

(ब) सक्रिय अनुबंध अनुक्रिया का पुनर्वलन

(स) व्यक्तिगत विभिन्नता पर

(द) एक विकल्प परीक्षण का

Ans द

49. किस विधि द्वारा कवि के हृदयस्थ भावों को समग्र रूप में प्रस्तुत किया जाता है?

(अ) अभिनय विधि

(ब) कविता पाठ

(स) रसास्वादन

(द) सूत्र विधि

Ans स

50. रसास्वादन विधि का प्रयोग सर्वाधिक उपयोगी है-

(अ) प्राथमिक स्तर

(ब) माध्यमिक स्तर

(स) उच्च स्तर

(द) सभी स्तरों पर

Ans अ

51. रसास्वादन विधि आधारित है-

(अ) भाव

(ब) रस

(स) अर्थ

(द) कला

Ans ब

52. रसास्वादन विधि में निम्न में से किस पर बल नहीं दिया जाता-

(अ) भाव सौंदर्य

(ब) अर्थ बोध

(स) कला सौंदर्य

(द) भावानुभाव

Ans ब

53 प्राचीन व अमनोवैज्ञानिक विधि का उदाहरण है- 

(अ) चित्र रचना विधि

(ब) आदर्श विधि

(स) सूत्र विधि

(द) आगमन विधिना

Ans स

54 . व्याकरण की सूत्र विधि हिंदी में किस भाषा से आई है-

(अ) अंग्रेजी

(ब) अरबी

(स) संस्कृत

(द) बंगला

Ans स

55. पाणिनी के 'अष्टाध्यायी' पढ़ाने हेतु किस विधि का प्रयोग उत्तम है?

(अ) सूत्र विधि

(ब) आगमन विधि

(स) व्याख्या विधि

(द) इनमें से कोई नहीं

Ans अ

56. सूत्र प्रणाली किस सिद्धान्त पर आधारित नहीं है

(अ) सामान्य से विशिष्ट की ओर

(ब) सूक्ष्म से स्थूल की ओर

(स) सिद्धान्त से उदाहरण की ओर

(द) पूर्ण से अंश की ओर 

Ans द

Sunday, July 17, 2022

निगमन विधि NIGMAN VIDHI

  निगमन विधि

प्रवर्तक -- प्लेटो


इस विधि मे बालकों को पहले नियम बता दिया जाता है और फिर बालकों को उदाहरण द्वारा उसी नियम का प्रयोग करना सिखाया जाता है।


परम्परागत विधि है।

शिक्षककेंद्रित विधि है।


#चार सोपान -- trick नि ऊ नि परी 

नियम➡️ उदाहरण➡️ निरीक्षण ➡️परीक्षण ।


1 प्राप्त ज्ञान अस्थाई ।

2 छात्र निष्क्रिय रहते हैं।

3 बड़ी कक्षाओं के लिये उपयोगी।

4 सबसे प्राचीन विधि।


  • शिक्षण सूत्र --( trick नि सा सू नि)
  • नियम से उदहारण की ओर।
  • अमर्त से मूर्त की ओर।
  • सामान्य से विशिष्ट की ओर।
  • सूक्ष्म से स्थूल की ओर।
  • अज्ञात से ज्ञात की ओर।



इसे सूत्र विधि /सिध्दांत प्रणाली/ पाठ्यपुस्तक प्रणाली भी कहते हैं।


निगमन विधि के गुण:-

1 इस विधि से साधारण शिक्षक भी सफलतापूर्वक पढ़ा सकता है।

2 समय तथा श्रम की बचत होती है।

3 इस विधि से ज्ञानार्जन तीव्र गति से होता है।

4 बालकों की स्मृति का विकास होता है।

5 इस विधि से ज्ञान देना सरल होता है।

6 यह एक व्यवहारिक विधि है।


दोष:-

1 अमनोवैज्ञानिक विधि है।

2 रटने पर आधारित विधि है।

3 प्राप्त ज्ञान अस्थाई होता है।

4 प्राथमिक स्तर पर उपयोगी नहीं है।

5 यह कक्षा कक्ष के वातावरण को नीरस बनाती है।

6 बालको मे तर्क वितर्क चिन्तन शक्ति का विकास नहीं हो पाता।



निगमन विधि के रूप --

1 सूत्र विधि:-

  • संस्कृत से आयी है।
  • व्याकरण की शिक्षा सूत्रों द्वारा दी जाती है।
  • हिन्दी मे इसका उपयोग न के बराबर है।
  • पाणिनी के अष्टाध्यायी पर आधारित है ।


2 पाठ्यपुस्तक विधि :-

अंग्रेजी से हिन्दी मे आयी है।

पाठ्यपुस्तक द्वारा व्याकरण की शिक्षा दी जाती है।




Saturday, August 29, 2020

वाद विवाद विधि तथा प्रश्नोत्तर विधि

वाद विवाद विधि :- 
बिना पूर्व तैयारी के कुछ कहना भाषण अर्थात व्याख्या करना, सम्यक अबबोध अर्थात ज्ञान प्रदर्शन, विमति अथवा विप्रलाप आदि क्रिया उस समय प्रचलित थी।

यह सभी क्रियाएं वाद विवाद  की प्रतीक हैं 

शास्त्रार्थ एवं संवाद इसी के उदाहरण हैं ।
जैसे गार्गी द्वारा किए गए प्रश्न ।
गुण:-  इससे छात्र में भाव प्रकाशन की शक्ति बढ़ती थी ।



प्रश्नोत्तर विधि:- 
प्राचीन काल में ओंकार शब्द के उच्चारण के बाद पाठ पढ़ाना आरंभ किया जाता था ।
व्याख्यान को प्रश्नोत्तर विधि से पढ़ाया करते थे।
प्रत्येक प्रश्न के पश्चात छात्र उनकी आवृत्ति करते थे ।
इस प्रकार संपूर्ण व्याख्यान समाप्त होता था ।
छात्र सक्रिय थे ।
स्व चिंतन तर्क एवं निरीक्षण शक्ति के विकास पर बल दिया जाता था।
इस विधि के प्रवर्तक सुकरात हैं।

Sunday, August 23, 2020

हर्बर्टीय पंचपदीय प्रणाली

हर्बर्टीय विधि / हर्बर्ट की पंचपदीय प्रणाली :- trick - प्र प्र तु सा प्र 

  1. हरबर्ट की पाठ योजना प्राचीनतम पाठ योजनाओं में से एक है ।
  2. इस पाठ योजना के जन्मदाता प्रसिद्ध  शिक्षा शास्त्री हरबर्ट है।
  3. प्रोफेसर हरबर्ट की अधिगम के संबंध में यह धारणा है कि प्रत्येक छात्र बाहर से मिलने वाले ज्ञान को संचित करता रहता है।
  4.  यदि नवीन ज्ञान को छोटे-छोटे सोपानों में बांटकर उसे पूर्व संचित ज्ञान से संबंधित करके पढ़ाया जाए तो छात्र उसे अधिक शीघ्रता व सुगमता से ग्रहण करता है।
  5.  हरबर्ट पाठ योजना में स्मृति स्तर पर सीखने को अधिक प्रभावशाली माना जाता है।
  6. यह पाठ योजना विषय वस्तु केंद्रित है इसमें पाठ को छात्रों के सम्मुख प्रस्तुतीकरण को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है और उस पर अधिक बल दिया जाता है।
  7. छात्रों की आवश्यकता और रुचियों, मूल्यों आदि को इसमें अधिक स्थान नहीं दिया जाता।
  8. हरबर्ट ने कक्षा शिक्षण के लिए सर्वप्रथम नियमों का प्रतिपादन किया।


  • स्पष्टता :-  विद्यार्थी के समक्ष प्रस्तुत करना ।
  • संबंध:-  प्रस्तुत किए गए जाने वाले तथ्यों या नवीन ज्ञान को बालक के पूर्व ज्ञान से संबंध करना।
  •  व्यवस्था :- बालक के समक्ष प्रस्तुत किए जाने वाले तथ्यों का नवीन ज्ञान को व्यवस्थित रूप देना 
  • विधि  :- 

हरबर्ट ने उपयुक्त चार सोपानों की विवेचना की  जिसे उसके अनुयायियों ने अधिक स्पष्ट व महत्वपूर्ण बनाने का प्रयास किया है।

उसके शिष्य जिलर ने सर्वप्रथम स्पष्टता को दो भागों में विभक्त किया 

1 - प्रस्तावना और 2 - प्रस्तुतीकरण ।

हरबर्ट के एक अन्य शिष्य राइन ने इनमें एक उप कथन और जोड़ा वह था - उद्देश्य ।

इस परिवर्तन के बाद प्रथम दो पद इस प्रकार हो गए

 1 प्रस्तावना और उद्देश्य कथन ।

2 प्रस्तुतीकरण ।

इसके बाद हर्बर्ट के अनुयायियों ने हर्बर्ट के शेष तीन पदों के नामों में भी इस प्रकार परिवर्तन  कर दिए।

संबंध= तुलना।

व्यवस्था = सामान्यीकरण ।

 विधि = प्रयोग।

 इस प्रकार हरवर्ट के शिक्षण पद अंतिम रूप से इस प्रकार हैं।

(प्र प्र तु सा प्र  शॉर्ट trick )

1 (अ)प्रस्तावना (ब)उद्देश्य कथन ।

2 प्रस्तुतीकरण।

3 तुलना ।

4 सामान्यीकरण।

5 प्रयोग ।

प्रस्तावना :- वर्तमान पाठ को पढ़ाने के लिए छात्र को मानसिक तैयार करना इस चरण के अंतर्गत है।

प्रस्तावना में अध्यापक दो या तीन प्रश्नों के द्वारा छात्रों से उत्तर लेकर यह निकलवाने का प्रयास करता है कि आज कक्षा में उसे क्या पढ़ाया जाने वाला है।

 प्रसंग का ज्ञान कराकर वस्तुतः छात्र के पूर्व ज्ञान को नवीन ज्ञान से संबंध करने का प्रयास प्रस्तावना में किया जाता है। पाठ की सफलता बहुत हद तक एक अच्छी प्रस्तावना पर निर्भर करती है ।




प्रस्तुतीकरण :- संपूर्ण पाठ को दो या तीन खंडों में विभक्त कर छात्रों के सम्मुख इस प्रकार प्रस्तुत किया जाता है जिससे समग्र पाठ्य सामग्री उनकी समझ में आ जाए इसे पाठ का प्रस्तुतीकरण भी कह सकते हैं ।

इसके अन्तर्गत शिक्षक  द्वारा किया गया आदर्श वाचन छात्रों का अनुकरण वाचन काठिन्य निवारण एवं केंद्रीय बोध के प्रश्न प्रस्तुत किए जाते हैं ।


तुलना :- छात्रों के पूर्व संचित ज्ञान एवं वर्तमान नवीन ज्ञान की तुलना की जाती है तथा अन्य विषयों के ज्ञान का स्थानांतरण भी किया जाता है ।

भाषा शिक्षण में आने वाली कठिनाइयों का निवारण व्याख्या शंका समाधान आदि की अपेक्षा छात्रों को शिक्षक से रहती है योग्य शिक्षक उपयुक्त उदाहरणों दृष्टांतों से विषय को सरल सुबोध बनाकर प्रस्तुत करता है।








सामान्यीकरण  :-   विद्यार्थी संचित ज्ञान के आधार पर सामान्य बातों को समझ कर उसका सामान्यीकरण करते हैं।

 गद्य शिक्षण में इस स्तर पर पुनरावृति के प्रश्न जबकि कविता शिक्षण में भाव साम्य की कविता देकर सामान्यीकरण किया जाता है । 

अपने पूर्व संचित ज्ञान की प्रस्तुत पाठ से तुलना कर विद्यार्थी सर्वमान्य सिद्धांतों का पता लगाते हैं ।

व्याकरण के पाठों  में सामान्यीकरण विशेष लाभदाई होता है।




 प्रयोग :-  सीखे हुए नवीन ज्ञान से निर्मित सामान्य नियम बनाकर विद्यार्थियों से उनका प्रयोग भी कराया जाता है ।

इसके लिए विद्यार्थियों को कक्षा कार्य या गृह कार्य लिखित रूप में करके लाने को कहा जाता है । पढ़ाई गए विषय को विद्यार्थियों ने किस सीमा तक समझा है इसका मूल्यांकन भी सोपान में किया जाता है ।

हर गतिविधि मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित है इससे शिक्षण में क्रमबद्ध रहती है ।

यह सोपान अत्यंत लाभप्रद होते हैं विज्ञान शिक्षण के लिए उपयोगी नहीं है ।

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Sunday, August 2, 2020

आगमन विधि

व्याकरण:- व्याकरण शब्द वि + आ + कृ धातु + ल्युट प्रत्यय के योग से बना है ।


जिस शास्त्र के द्वारा शब्द की व्युत्पत्ति या रचना का ज्ञान करवाया जाता है उसे व्याकरण शास्त्र कहते हैं।


परिभाषा
  • स्वीट महोदय-" व्याकरण भाषा का व्यवहारिक विश्लेषण है "
  • - व्याकरण भाषा का मेरुदंड है।
  • पतंजलि ने *महाभाष्य* में व्याकरण को शब्दानुशासन कहा है।
  • किशोरीदास बाजपेयी ने व्याकरण को "भाषा का भूगोल " कहा है।
  • व्याकरण को भाषा शिक्षण का सर्वश्रेष्ट राजमार्ग भी कहा है।

व्याकरण वेद रूपी पुरुष का मुख मना जाता है।

  1. व्याकरण- मुख
  2. ज्योतिष- आँख
  3. निरुक्त- कान
  4. कल्प - हाथ
  5. शिक्षा- नाक
  6. छ्न्द- पैर ।

व्याकरण शिक्षण के उद्देश्य
1 छात्रों को विभिन्न ध्वनियों का ज्ञान देना।
2 शुद्ध भाषा का प्रयोग करने की क्षमता का विकास करना।
3 वाक्यों मे शब्दों का स्थान उनका अर्थ इत्यादि की कुशलता का विकास करना।
4 बच्चों को इस योग्य बनाना की वे कम से कम शब्दों मे अपने भाव प्रकट कर सकें।


नोट ---नियम बताकर भाषा सिखाना कक्षा 6 से पहले प्रारंभ नहीं किया जाना चाहिए।


भाषा शिक्षण मे व्याकरण का निम्न स्वरूप होना चाहिए--
1 प्रारंभिक कक्षाओं में ज्ञान।
2 निम्न कक्षाओं मे पहले उदाहरण दे।
3 उच्च कक्षाओं में सामान्य नियम के साथ उसकी आलोचना आवश्यक है।
4 व्याकरण शिक्षण का आरंभ वाक्य से।



A आगमन विधि
प्रवर्तक -- अरस्तु महोदय।


# व्याकरण शिक्षण की श्रेष्ट विधि है।

इस विधि मे नियमों को प्रत्यक्ष नही बताया जाता उदाहरण द्वारा बच्चों से निकलवाया जाता है।

  • #शिक्षण सूत्र -- trick आ वि स् ज्ञान
  • यह विधि उदाहरण से नियम की ओर बढ़ती है
  • विशिष्ट से सामान्य की ओर
  • मूर्त से अमूर्त की ओर
  • ज्ञात से अज्ञात की ओर

इसके चार चरण होते हैं।
( Trick - उ नि नि परी)
उदाहरण प्रस्तुत करना ➡️ निरीक्षण(तुलना या विश्लेषण) करना ➡️ नियमीकरण (निष्कर्ष निकलना)➡️ परीक्षण(प्रयोग एवं अभ्यास की पुष्टि करना) ।


इसे प्रयोग प्रणाली / सहयोग प्रणाली / सहसंबंध प्रणाली भी कहते हैं।

गद्य शिक्षण करते समय की व्याकरण के नियम बता दिये जाते हैं।
उदाहरण-- भारत मेरा देश है।
इस वाक्य मे भारत ,देश आदि शब्दों द्वारा संज्ञा को परिभाषित किया जाता है।

#आगमन विधि के गुण --
1 प्राप्त ज्ञान स्थायी होता है।
2 छात्र सक्रिय रहते हैं।
3 छोटी कक्षाओं के लिए उपयोगी है।
4 सरस विधि ,रुचिकर विधि।
5 मनोवैज्ञानिक विधि।
6 खोज सिध्दांत पर आधारित है।
7 बालकेंद्रित विधि
8 अध्यापक और छात्र दोनो सक्रिय रहते हैं।
9 इस विधि के द्वारा बालकों मे आत्मविश्वास बढ़ता है।

दोष
1 प्रशिक्षित तथा अनुभवी शिक्षकों की कमी।
2 समय तथा श्रम साध्य विधि ।
3 उच्च स्तर पर अनुपयोगी विधि।
4 लम्बी विधि है।
5 पाठ्यक्रम को कारवाने मे असमर्थ है।


आगमन विधि के रूप---
1 भाषा संसर्ग विधि
मनोवैज्ञानिक है परंतु अपूर्ण विधि है
इस विधि मे बिना व्याकरण की शिक्षा दिये शुद्ध लिखना पढ़ना बोलना सिखाया जाता है।

इस विधि में विद्यार्थीयों को अच्छे लेखकों की पुस्तकें पढ़ने के लिये दी जाती हैं।
तथा ऐसे लोगों के साथ रखा जाता है जिनकी भाषा पर अच्छी पकड होती है।

इस विधि मे व्यवहारिक ज्ञान पर बल दिया जाता है।




2 समवाय विधि ---
अन्य नाम- सहयोग विधि
इस विधि में शिक्षक गद्य- पद्य के साथ साथ व्याकरण की शिक्षा देता है।

यह विधि गांधीजी की बुनियादी सिद्घांत पर आधारित है।

आगमन विधि का रूप है।





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