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Sunday, July 17, 2022

निगमन विधि NIGMAN VIDHI

  निगमन विधि

प्रवर्तक -- प्लेटो


इस विधि मे बालकों को पहले नियम बता दिया जाता है और फिर बालकों को उदाहरण द्वारा उसी नियम का प्रयोग करना सिखाया जाता है।


परम्परागत विधि है।

शिक्षककेंद्रित विधि है।


#चार सोपान -- trick नि ऊ नि परी 

नियम➡️ उदाहरण➡️ निरीक्षण ➡️परीक्षण ।


1 प्राप्त ज्ञान अस्थाई ।

2 छात्र निष्क्रिय रहते हैं।

3 बड़ी कक्षाओं के लिये उपयोगी।

4 सबसे प्राचीन विधि।


  • शिक्षण सूत्र --( trick नि सा सू नि)
  • नियम से उदहारण की ओर।
  • अमर्त से मूर्त की ओर।
  • सामान्य से विशिष्ट की ओर।
  • सूक्ष्म से स्थूल की ओर।
  • अज्ञात से ज्ञात की ओर।



इसे सूत्र विधि /सिध्दांत प्रणाली/ पाठ्यपुस्तक प्रणाली भी कहते हैं।


निगमन विधि के गुण:-

1 इस विधि से साधारण शिक्षक भी सफलतापूर्वक पढ़ा सकता है।

2 समय तथा श्रम की बचत होती है।

3 इस विधि से ज्ञानार्जन तीव्र गति से होता है।

4 बालकों की स्मृति का विकास होता है।

5 इस विधि से ज्ञान देना सरल होता है।

6 यह एक व्यवहारिक विधि है।


दोष:-

1 अमनोवैज्ञानिक विधि है।

2 रटने पर आधारित विधि है।

3 प्राप्त ज्ञान अस्थाई होता है।

4 प्राथमिक स्तर पर उपयोगी नहीं है।

5 यह कक्षा कक्ष के वातावरण को नीरस बनाती है।

6 बालको मे तर्क वितर्क चिन्तन शक्ति का विकास नहीं हो पाता।



निगमन विधि के रूप --

1 सूत्र विधि:-

  • संस्कृत से आयी है।
  • व्याकरण की शिक्षा सूत्रों द्वारा दी जाती है।
  • हिन्दी मे इसका उपयोग न के बराबर है।
  • पाणिनी के अष्टाध्यायी पर आधारित है ।


2 पाठ्यपुस्तक विधि :-

अंग्रेजी से हिन्दी मे आयी है।

पाठ्यपुस्तक द्वारा व्याकरण की शिक्षा दी जाती है।




Friday, August 7, 2020

गद्य शिक्षण विधि

 गद्य के रूप/ विधाए :- 

कहानी        जीवनी

आत्मकथा     यात्रावृतांत 

रिपोर्टाज        ऐकन्की

उपन्यास        संस्मरण

निबंध         नाटक 

रेखाचित्र        डायरी 


1. कहानी शिक्षण :

1 कहानी शिक्षण के उद्देश्य 

2 छात्रों का मनोरंजन करना।

3 कल्पना शक्ति व सृजनात्मक शक्ति का विकास।

4 सामाजिक, नैतिक, चारित्रिक गुणों का विकास।

5 देश प्रेम की भावना विकसित करना।

6 महापुरुषों की जीवनियों से अवगत कराना ।

7 ऐतिहासिक पात्रों तथा एतिहासिक घटनाओं का बोध कराना।

8 शब्द भण्डार मे वृद्घि करना।


प्राथमिक स्तर पर कहानी शिक्षण की विधियाँ 

1 चित्र विधि या देखो और कहो विधि

2 अभिनय विधि


उच्च प्राथमिक स्तर पर कहानी शिक्षण की विधियाँ 

1 चित्र विधि

2 प्रश्नोत्तर विधि या खण्डानवय विधि 

3 कक्षा अभिनय विधि


कहानी शिक्षण की विधियाँ 

1)मौखिक कहानी कथन विधि/ व्याख्या विधि:-

कहानी का कथन जितना अधिक प्रभावकारी होगा बालकों को अधिगम उतने ही अच्छे ढंग से होगा । कथन करना भी अपने आप में एक कला है 

प्राथमिक स्तर के बालकों के लिये ।

अध्यापक मौखिक रूप से कहानी सुनाता है।

छात्रों का मनोरंजन होता है।

अध्यापक सक्रिय छात्र निष्क्रिय श्रोता।

अमनोवैज्ञानिक विधि। 


2) चित्र प्रदर्शन विधि:- 

अध्यापक क्रम से एक एक चित्र दिखात  है  तथा चित्रों के माध्यम से बालकों से प्रश्न पूछता है। चित्र प्रदर्शन करके कहानी का अध्ययन करना।

खादी बोर्ड का प्रयोग करके।

प्राथमिक स्तर पर उपयोगी।

मनोवैज्ञानिक विधि है।


3) अधूरी कहानी पूर्ति विधि:- 

अध्यापक अधूरी कहानी लाता है तथा छात्रों से पूरी करवाता है।

छात्र कल्पना के आधार पर पूरी करता है।

उच्च प्राथमिक तथा माध्यमिक स्तर पर उपयोगी।


4) वाचन विधि:- 

जिन कहानियों की भाषा/ विषय वस्तु सरल हो।

उच्च प्राथमिक स्तर पर उपयोगी।


 5)गहन अध्ययन विधि

जिन कहानियों की भाषा/ विषय वस्तु कठिन हो 

माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक स्तर पर 


6) कक्षा अभिनय विधि :- 

यदि किसी कहानी में पात्र हैं तो अध्यापक बालकों से उन पात्रों का अभिनय करवाता है और पात्र नहीं है तो अध्यापक चेहरे की भाव भंगिमाओं के माध्यम से व हाथ के संकेतों के माध्यम से कहानी का अभिनय प्रस्तुत करता है।

खर्चीली विधि है।

मनोवैज्ञानिक विधि है।

प्राथमिक तथा उच्च प्राथमिक स्तर के लिए उपयोगी 


7) प्रश्नोत्तर विधि या खण्डानवय विधि:- 

इस विधि में अध्यापक प्रश्नों के माध्यम से छात्रों को कहानी सुनाता है।

मनोवैज्ञानिक विधि है।

उच्च प्राथमिक स्तर के लिए उपयोगी 


8) वार्तालाप/ संवाद विधि:- 

अमनोवैज्ञानिक विधि 

इस विधि मे कहानी मे आने वाले पात्रों के बारे में व कहानी के बारे मे अध्यापक बालकों से वार्तालाप करता है।


Sunday, August 2, 2020

आगमन विधि

व्याकरण:- व्याकरण शब्द वि + आ + कृ धातु + ल्युट प्रत्यय के योग से बना है ।


जिस शास्त्र के द्वारा शब्द की व्युत्पत्ति या रचना का ज्ञान करवाया जाता है उसे व्याकरण शास्त्र कहते हैं।


परिभाषा
  • स्वीट महोदय-" व्याकरण भाषा का व्यवहारिक विश्लेषण है "
  • - व्याकरण भाषा का मेरुदंड है।
  • पतंजलि ने *महाभाष्य* में व्याकरण को शब्दानुशासन कहा है।
  • किशोरीदास बाजपेयी ने व्याकरण को "भाषा का भूगोल " कहा है।
  • व्याकरण को भाषा शिक्षण का सर्वश्रेष्ट राजमार्ग भी कहा है।

व्याकरण वेद रूपी पुरुष का मुख मना जाता है।

  1. व्याकरण- मुख
  2. ज्योतिष- आँख
  3. निरुक्त- कान
  4. कल्प - हाथ
  5. शिक्षा- नाक
  6. छ्न्द- पैर ।

व्याकरण शिक्षण के उद्देश्य
1 छात्रों को विभिन्न ध्वनियों का ज्ञान देना।
2 शुद्ध भाषा का प्रयोग करने की क्षमता का विकास करना।
3 वाक्यों मे शब्दों का स्थान उनका अर्थ इत्यादि की कुशलता का विकास करना।
4 बच्चों को इस योग्य बनाना की वे कम से कम शब्दों मे अपने भाव प्रकट कर सकें।


नोट ---नियम बताकर भाषा सिखाना कक्षा 6 से पहले प्रारंभ नहीं किया जाना चाहिए।


भाषा शिक्षण मे व्याकरण का निम्न स्वरूप होना चाहिए--
1 प्रारंभिक कक्षाओं में ज्ञान।
2 निम्न कक्षाओं मे पहले उदाहरण दे।
3 उच्च कक्षाओं में सामान्य नियम के साथ उसकी आलोचना आवश्यक है।
4 व्याकरण शिक्षण का आरंभ वाक्य से।



A आगमन विधि
प्रवर्तक -- अरस्तु महोदय।


# व्याकरण शिक्षण की श्रेष्ट विधि है।

इस विधि मे नियमों को प्रत्यक्ष नही बताया जाता उदाहरण द्वारा बच्चों से निकलवाया जाता है।

  • #शिक्षण सूत्र -- trick आ वि स् ज्ञान
  • यह विधि उदाहरण से नियम की ओर बढ़ती है
  • विशिष्ट से सामान्य की ओर
  • मूर्त से अमूर्त की ओर
  • ज्ञात से अज्ञात की ओर

इसके चार चरण होते हैं।
( Trick - उ नि नि परी)
उदाहरण प्रस्तुत करना ➡️ निरीक्षण(तुलना या विश्लेषण) करना ➡️ नियमीकरण (निष्कर्ष निकलना)➡️ परीक्षण(प्रयोग एवं अभ्यास की पुष्टि करना) ।


इसे प्रयोग प्रणाली / सहयोग प्रणाली / सहसंबंध प्रणाली भी कहते हैं।

गद्य शिक्षण करते समय की व्याकरण के नियम बता दिये जाते हैं।
उदाहरण-- भारत मेरा देश है।
इस वाक्य मे भारत ,देश आदि शब्दों द्वारा संज्ञा को परिभाषित किया जाता है।

#आगमन विधि के गुण --
1 प्राप्त ज्ञान स्थायी होता है।
2 छात्र सक्रिय रहते हैं।
3 छोटी कक्षाओं के लिए उपयोगी है।
4 सरस विधि ,रुचिकर विधि।
5 मनोवैज्ञानिक विधि।
6 खोज सिध्दांत पर आधारित है।
7 बालकेंद्रित विधि
8 अध्यापक और छात्र दोनो सक्रिय रहते हैं।
9 इस विधि के द्वारा बालकों मे आत्मविश्वास बढ़ता है।

दोष
1 प्रशिक्षित तथा अनुभवी शिक्षकों की कमी।
2 समय तथा श्रम साध्य विधि ।
3 उच्च स्तर पर अनुपयोगी विधि।
4 लम्बी विधि है।
5 पाठ्यक्रम को कारवाने मे असमर्थ है।


आगमन विधि के रूप---
1 भाषा संसर्ग विधि
मनोवैज्ञानिक है परंतु अपूर्ण विधि है
इस विधि मे बिना व्याकरण की शिक्षा दिये शुद्ध लिखना पढ़ना बोलना सिखाया जाता है।

इस विधि में विद्यार्थीयों को अच्छे लेखकों की पुस्तकें पढ़ने के लिये दी जाती हैं।
तथा ऐसे लोगों के साथ रखा जाता है जिनकी भाषा पर अच्छी पकड होती है।

इस विधि मे व्यवहारिक ज्ञान पर बल दिया जाता है।




2 समवाय विधि ---
अन्य नाम- सहयोग विधि
इस विधि में शिक्षक गद्य- पद्य के साथ साथ व्याकरण की शिक्षा देता है।

यह विधि गांधीजी की बुनियादी सिद्घांत पर आधारित है।

आगमन विधि का रूप है।





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