जिस शास्त्र के द्वारा शब्द की व्युत्पत्ति या रचना का ज्ञान करवाया जाता है उसे व्याकरण शास्त्र कहते हैं।
परिभाषा
- स्वीट महोदय-" व्याकरण भाषा का व्यवहारिक विश्लेषण है "
- - व्याकरण भाषा का मेरुदंड है।
- पतंजलि ने *महाभाष्य* में व्याकरण को शब्दानुशासन कहा है।
- किशोरीदास बाजपेयी ने व्याकरण को "भाषा का भूगोल " कहा है।
- व्याकरण को भाषा शिक्षण का सर्वश्रेष्ट राजमार्ग भी कहा है।
व्याकरण वेद रूपी पुरुष का मुख मना जाता है।
- व्याकरण- मुख
- ज्योतिष- आँख
- निरुक्त- कान
- कल्प - हाथ
- शिक्षा- नाक
- छ्न्द- पैर ।
व्याकरण शिक्षण के उद्देश्य
1 छात्रों को विभिन्न ध्वनियों का ज्ञान देना।
2 शुद्ध भाषा का प्रयोग करने की क्षमता का विकास करना।
3 वाक्यों मे शब्दों का स्थान उनका अर्थ इत्यादि की कुशलता का विकास करना।
4 बच्चों को इस योग्य बनाना की वे कम से कम शब्दों मे अपने भाव प्रकट कर सकें।
नोट ---नियम बताकर भाषा सिखाना कक्षा 6 से पहले प्रारंभ नहीं किया जाना चाहिए।
भाषा शिक्षण मे व्याकरण का निम्न स्वरूप होना चाहिए--
1 प्रारंभिक कक्षाओं में ज्ञान।
2 निम्न कक्षाओं मे पहले उदाहरण दे।
3 उच्च कक्षाओं में सामान्य नियम के साथ उसकी आलोचना आवश्यक है।
4 व्याकरण शिक्षण का आरंभ वाक्य से।
A आगमन विधि
प्रवर्तक -- अरस्तु महोदय।
# व्याकरण शिक्षण की श्रेष्ट विधि है।
इस विधि मे नियमों को प्रत्यक्ष नही बताया जाता उदाहरण द्वारा बच्चों से निकलवाया जाता है।
- #शिक्षण सूत्र -- trick आ वि स् ज्ञान
- यह विधि उदाहरण से नियम की ओर बढ़ती है
- विशिष्ट से सामान्य की ओर
- मूर्त से अमूर्त की ओर
- ज्ञात से अज्ञात की ओर
इसके चार चरण होते हैं।
( Trick - उ नि नि परी)
उदाहरण प्रस्तुत करना ➡️ निरीक्षण(तुलना या विश्लेषण) करना ➡️ नियमीकरण (निष्कर्ष निकलना)➡️ परीक्षण(प्रयोग एवं अभ्यास की पुष्टि करना) ।
इसे प्रयोग प्रणाली / सहयोग प्रणाली / सहसंबंध प्रणाली भी कहते हैं।
गद्य शिक्षण करते समय की व्याकरण के नियम बता दिये जाते हैं।
उदाहरण-- भारत मेरा देश है।
इस वाक्य मे भारत ,देश आदि शब्दों द्वारा संज्ञा को परिभाषित किया जाता है।
#आगमन विधि के गुण --
1 प्राप्त ज्ञान स्थायी होता है।
2 छात्र सक्रिय रहते हैं।
3 छोटी कक्षाओं के लिए उपयोगी है।
4 सरस विधि ,रुचिकर विधि।
5 मनोवैज्ञानिक विधि।
6 खोज सिध्दांत पर आधारित है।
7 बालकेंद्रित विधि
8 अध्यापक और छात्र दोनो सक्रिय रहते हैं।
9 इस विधि के द्वारा बालकों मे आत्मविश्वास बढ़ता है।
दोष
1 प्रशिक्षित तथा अनुभवी शिक्षकों की कमी।
2 समय तथा श्रम साध्य विधि ।
3 उच्च स्तर पर अनुपयोगी विधि।
4 लम्बी विधि है।
5 पाठ्यक्रम को कारवाने मे असमर्थ है।
आगमन विधि के रूप---
1 भाषा संसर्ग विधि
मनोवैज्ञानिक है परंतु अपूर्ण विधि है
इस विधि मे बिना व्याकरण की शिक्षा दिये शुद्ध लिखना पढ़ना बोलना सिखाया जाता है।
इस विधि में विद्यार्थीयों को अच्छे लेखकों की पुस्तकें पढ़ने के लिये दी जाती हैं।
तथा ऐसे लोगों के साथ रखा जाता है जिनकी भाषा पर अच्छी पकड होती है।
इस विधि मे व्यवहारिक ज्ञान पर बल दिया जाता है।
2 समवाय विधि ---
अन्य नाम- सहयोग विधि
इस विधि में शिक्षक गद्य- पद्य के साथ साथ व्याकरण की शिक्षा देता है।
यह विधि गांधीजी की बुनियादी सिद्घांत पर आधारित है।
आगमन विधि का रूप है।
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उदाहरण प्रस्तुत करना ➡️ निरीक्षण(तुलना या विश्लेषण) करना ➡️ नियमीकरण (निष्कर्ष निकलना)➡️ परीक्षण(प्रयोग एवं अभ्यास की पुष्टि करना) ।
इसे प्रयोग प्रणाली / सहयोग प्रणाली / सहसंबंध प्रणाली भी कहते हैं।
गद्य शिक्षण करते समय की व्याकरण के नियम बता दिये जाते हैं।
उदाहरण-- भारत मेरा देश है।
इस वाक्य मे भारत ,देश आदि शब्दों द्वारा संज्ञा को परिभाषित किया जाता है।
#आगमन विधि के गुण --
1 प्राप्त ज्ञान स्थायी होता है।
2 छात्र सक्रिय रहते हैं।
3 छोटी कक्षाओं के लिए उपयोगी है।
4 सरस विधि ,रुचिकर विधि।
5 मनोवैज्ञानिक विधि।
6 खोज सिध्दांत पर आधारित है।
7 बालकेंद्रित विधि
8 अध्यापक और छात्र दोनो सक्रिय रहते हैं।
9 इस विधि के द्वारा बालकों मे आत्मविश्वास बढ़ता है।
दोष
1 प्रशिक्षित तथा अनुभवी शिक्षकों की कमी।
2 समय तथा श्रम साध्य विधि ।
3 उच्च स्तर पर अनुपयोगी विधि।
4 लम्बी विधि है।
5 पाठ्यक्रम को कारवाने मे असमर्थ है।
आगमन विधि के रूप---
1 भाषा संसर्ग विधि
मनोवैज्ञानिक है परंतु अपूर्ण विधि है
इस विधि मे बिना व्याकरण की शिक्षा दिये शुद्ध लिखना पढ़ना बोलना सिखाया जाता है।
इस विधि में विद्यार्थीयों को अच्छे लेखकों की पुस्तकें पढ़ने के लिये दी जाती हैं।
तथा ऐसे लोगों के साथ रखा जाता है जिनकी भाषा पर अच्छी पकड होती है।
इस विधि मे व्यवहारिक ज्ञान पर बल दिया जाता है।
2 समवाय विधि ---
अन्य नाम- सहयोग विधि
इस विधि में शिक्षक गद्य- पद्य के साथ साथ व्याकरण की शिक्षा देता है।
यह विधि गांधीजी की बुनियादी सिद्घांत पर आधारित है।
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