निगमन विधि
प्रवर्तक -- प्लेटो
इस विधि मे बालकों को पहले नियम बता दिया जाता है और फिर बालकों को उदाहरण द्वारा उसी नियम का प्रयोग करना सिखाया जाता है।
परम्परागत विधि है।
शिक्षककेंद्रित विधि है।
#चार सोपान -- trick नि ऊ नि परी
नियम➡️ उदाहरण➡️ निरीक्षण ➡️परीक्षण ।
1 प्राप्त ज्ञान अस्थाई ।
2 छात्र निष्क्रिय रहते हैं।
3 बड़ी कक्षाओं के लिये उपयोगी।
4 सबसे प्राचीन विधि।
- शिक्षण सूत्र --( trick नि सा सू नि)
- नियम से उदहारण की ओर।
- अमर्त से मूर्त की ओर।
- सामान्य से विशिष्ट की ओर।
- सूक्ष्म से स्थूल की ओर।
- अज्ञात से ज्ञात की ओर।
इसे सूत्र विधि /सिध्दांत प्रणाली/ पाठ्यपुस्तक प्रणाली भी कहते हैं।
निगमन विधि के गुण:-
1 इस विधि से साधारण शिक्षक भी सफलतापूर्वक पढ़ा सकता है।
2 समय तथा श्रम की बचत होती है।
3 इस विधि से ज्ञानार्जन तीव्र गति से होता है।
4 बालकों की स्मृति का विकास होता है।
5 इस विधि से ज्ञान देना सरल होता है।
6 यह एक व्यवहारिक विधि है।
दोष:-
1 अमनोवैज्ञानिक विधि है।
2 रटने पर आधारित विधि है।
3 प्राप्त ज्ञान अस्थाई होता है।
4 प्राथमिक स्तर पर उपयोगी नहीं है।
5 यह कक्षा कक्ष के वातावरण को नीरस बनाती है।
6 बालको मे तर्क वितर्क चिन्तन शक्ति का विकास नहीं हो पाता।
निगमन विधि के रूप --
1 सूत्र विधि:-
- संस्कृत से आयी है।
- व्याकरण की शिक्षा सूत्रों द्वारा दी जाती है।
- हिन्दी मे इसका उपयोग न के बराबर है।
- पाणिनी के अष्टाध्यायी पर आधारित है ।
2 पाठ्यपुस्तक विधि :-
अंग्रेजी से हिन्दी मे आयी है।
पाठ्यपुस्तक द्वारा व्याकरण की शिक्षा दी जाती है।