Showing posts with label dramatization method of Teachinq. Show all posts
Showing posts with label dramatization method of Teachinq. Show all posts

Friday, August 7, 2020

नाटक शिक्षण विधियां


 नाटक शिक्षण या एकांकी शिक्षण:-

  • एकांकी मे किसी एक घटना को लेकर नाटक का एक लघु रूप समाहित किया जाता है। नाटक में विभिन्न घटनाएं होती हैं। 
  • एकांकी मे कोई एक घटना या एक दो दृश्यों का नाटकीकरण होता है।
  • नाटक मे अभिनय तत्व पाया जाता है।
  • भरतमुनि के नाट्यशास्त्र मे अभिनय, अवस्था अनुकृति का रूप है।

  • नाटक शिक्षण के उद्देश्य :-
  • बालकों को अभिनय कला मे निपुण बनाना।
  • समाज तथा देश की परिस्तिथियों से अवगत कराना।
  • छात्रों को प्रभावशाली व शुद्ध वार्तालाप में दक्ष बनाना।
  • छात्रों मे भावानुसार , उचित लय गति व हाव भाव के साथ सस्वर वाचन की योग्यता विकसित करना
  • नाटक की तकनीकों से अवगत कराना।
Credit Unsplash






  • नाटक शिक्षण विधियां :- 
  • A अभिनय विधियाँ:- 
  • a) कक्षा अभिनय 
  • b) रंगमंच अभिनय 


  • 1) कक्षा अभिनय:- 
  • नाटक शिक्षण की सर्वश्रेष्ट विधि। व्यवहारिक विधि है।
  • छात्रों को कक्षा में ही पात्र बनाकर बिना साज सज्जा के संवाद व अभिनय करवाया जाता है।
  • अतिरिक्त व्यय नहीं होता।
  • समय कम लगता है।
  • छात्र स्वयं करके सीखता है 
  • मनोवैज्ञानिक विधि 


  • 2) रंगमंच विधि:- 
  • पूर्ण साज सज्जा के साथ मंच पर अभिनय कराया जाता है।यह विधि व्यवहारिक विधि नहीं है क्योंकि इसमे समय तथा श्रम दोनो ज्यादा लगते हैं।
  • खर्चीली विधि है।

  • B) व्याख्यान विधि :- 
  • अर्थ कथन विधि भी कहते हैं।
  • इसमे अध्यापक स्वयं छात्रों के सामने सस्वर वाचन करता है। तथा कठिन शब्दों के अर्थ को समझाते हुये व्याख्या करता है।

  • तीन चरण होते हैं :-- 

  • संदर्भ - नाटककार + नाटक परिचय 


  • व्याख्या - काठिन्य निवारण, विषय वस्तु की जानकारी, उदाहरण , नाट्य तत्वों की समीक्षा।


  • विशेष - मूल बात / सार 


  • अध्यापक सक्रिय रहता है।


  • छात्र मात्र श्रोता बनकर सुनते रहते हैं।

  • प्रभावकारी विधि नहीं है।

  • दोष :- अभिनय तत्व का अभाव ।

  • C) आदर्श नाट्य विधि:- 

  • इस विधि मे केवल अध्यापक द्वारा सभी पात्रों  का अभिनय किया जाता है।
  • इस विधि के लिये अध्यापक का अभिनय कला मे निपुण होना चाहिए।

  • D) समीक्षा विधि:
  • इस विधि मे नाटकीय तत्वों की समीक्षा की जाती है।
  • नाटकीय तत्व 7 होते हैं।
  • 1 कक्षा वस्तु 
  • 2 संवाद
  • 3 पात्र
  • 4 देशकाल
  • 5 भाषा शैली
  • 6 उद्देश्य 
  • 7 अभिनय।

  • दोष :- अभिनय तत्व का अभाव ( केवल जानकारी दी जाती है।)

  • E) संयुक्त विधि/ समवाय विधि/ समवेत विधि/ सहयोग विधि:-  नाटक की सभी विधियों का मिश्रण 
  • व्याख्या भी नाटकीयकरण भी नाटकीय तत्वो की समीक्षा भी तथा अभिनय तत्वों की जानकारी भी दी जाती है।

  • विद्यालय स्तर पर नाटक शिक्षण की सर्वश्रेष्ट विधि है।


  • अभिरुचि प्रश्न :- 

  • 1 नाटक शिक्षण की सर्वश्रेष्ट विधि है।
  • अ  व्याख्यान विधि 
  • ब रंगमंच विधि 
  • स समवाय विधि 
  • द अभिनय विधि।
  • उत्तर -रंगमंच



  • 2 विद्यालय स्तर पर नाटक शिक्षण की सर्वश्रेष्ट विधि है।
  • अ  समवाय विधि
  • ब रंगमंच विधि
  • स अभिनय विधि
  • द आदर्श विधि
  • उत्तर - समवाय विधि।


  • 3 आदर्श विधि मे अभिनय किया जाता है।
  • अ  अध्यापक द्वारा
  • ब अध्यापक व छात्र द्वारा
  • स छात्रों द्वारा 
  • द  बाहर से आने वाले विशेषज्ञ द्वारा।
  • उत्तर - अध्यापक द्वारा

  • 4 नाटक का प्राण तत्व किसे कहा गया है।
  • अ  अभिनय 
  • ब व्याख्या
  • स समीक्षा 
  • द पात्र
  • उत्तर - अभिनय

  • 5 उपन्यास व नाट्य मे किस तत्व का अन्तर होता है।
  • अ  अभिनय 
  • ब व्याख्या
  • स समीक्षा 
  • द भाषा शैली।
  • उत्तर - अभिनय

शिक्षण अधिगम सामग्री

शिक्षण अधिगम सामग्री :- शिक्षण सामग्री वे साधन है जिन्हें हम आंखों से देख सकते हैं कानों से उनसे संबंधित ध्वनि सुन सकते हैं वे प्रक्रियाएं ज...