नाटक शिक्षण या एकांकी शिक्षण:-
- एकांकी मे किसी एक घटना को लेकर नाटक का एक लघु रूप समाहित किया जाता है। नाटक में विभिन्न घटनाएं होती हैं।
- एकांकी मे कोई एक घटना या एक दो दृश्यों का नाटकीकरण होता है।
- नाटक मे अभिनय तत्व पाया जाता है।
- भरतमुनि के नाट्यशास्त्र मे अभिनय, अवस्था अनुकृति का रूप है।
- नाटक शिक्षण के उद्देश्य :-
- बालकों को अभिनय कला मे निपुण बनाना।
- समाज तथा देश की परिस्तिथियों से अवगत कराना।
- छात्रों को प्रभावशाली व शुद्ध वार्तालाप में दक्ष बनाना।
- छात्रों मे भावानुसार , उचित लय गति व हाव भाव के साथ सस्वर वाचन की योग्यता विकसित करना
- नाटक की तकनीकों से अवगत कराना।
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- नाटक शिक्षण विधियां :-
- A अभिनय विधियाँ:-
- a) कक्षा अभिनय
- b) रंगमंच अभिनय
- 1) कक्षा अभिनय:-
- नाटक शिक्षण की सर्वश्रेष्ट विधि। व्यवहारिक विधि है।
- छात्रों को कक्षा में ही पात्र बनाकर बिना साज सज्जा के संवाद व अभिनय करवाया जाता है।
- अतिरिक्त व्यय नहीं होता।
- समय कम लगता है।
- छात्र स्वयं करके सीखता है
- मनोवैज्ञानिक विधि
- 2) रंगमंच विधि:-
- पूर्ण साज सज्जा के साथ मंच पर अभिनय कराया जाता है।यह विधि व्यवहारिक विधि नहीं है क्योंकि इसमे समय तथा श्रम दोनो ज्यादा लगते हैं।
- खर्चीली विधि है।
- B) व्याख्यान विधि :-
- अर्थ कथन विधि भी कहते हैं।
- इसमे अध्यापक स्वयं छात्रों के सामने सस्वर वाचन करता है। तथा कठिन शब्दों के अर्थ को समझाते हुये व्याख्या करता है।
- तीन चरण होते हैं :--
- संदर्भ - नाटककार + नाटक परिचय
- व्याख्या - काठिन्य निवारण, विषय वस्तु की जानकारी, उदाहरण , नाट्य तत्वों की समीक्षा।
- विशेष - मूल बात / सार
- अध्यापक सक्रिय रहता है।
- छात्र मात्र श्रोता बनकर सुनते रहते हैं।
- प्रभावकारी विधि नहीं है।
- दोष :- अभिनय तत्व का अभाव ।
- C) आदर्श नाट्य विधि:-
- इस विधि मे केवल अध्यापक द्वारा सभी पात्रों का अभिनय किया जाता है।
- इस विधि के लिये अध्यापक का अभिनय कला मे निपुण होना चाहिए।
- D) समीक्षा विधि:-
- इस विधि मे नाटकीय तत्वों की समीक्षा की जाती है।
- नाटकीय तत्व 7 होते हैं।
- 1 कक्षा वस्तु
- 2 संवाद
- 3 पात्र
- 4 देशकाल
- 5 भाषा शैली
- 6 उद्देश्य
- 7 अभिनय।
- दोष :- अभिनय तत्व का अभाव ( केवल जानकारी दी जाती है।)
- E) संयुक्त विधि/ समवाय विधि/ समवेत विधि/ सहयोग विधि:- नाटक की सभी विधियों का मिश्रण
- व्याख्या भी नाटकीयकरण भी नाटकीय तत्वो की समीक्षा भी तथा अभिनय तत्वों की जानकारी भी दी जाती है।
- विद्यालय स्तर पर नाटक शिक्षण की सर्वश्रेष्ट विधि है।
- अभिरुचि प्रश्न :-
- 1 नाटक शिक्षण की सर्वश्रेष्ट विधि है।
- अ व्याख्यान विधि
- ब रंगमंच विधि
- स समवाय विधि
- द अभिनय विधि।
- उत्तर -रंगमंच।
- 2 विद्यालय स्तर पर नाटक शिक्षण की सर्वश्रेष्ट विधि है।
- अ समवाय विधि
- ब रंगमंच विधि
- स अभिनय विधि
- द आदर्श विधि
- उत्तर - समवाय विधि।
- 3 आदर्श विधि मे अभिनय किया जाता है।
- अ अध्यापक द्वारा
- ब अध्यापक व छात्र द्वारा
- स छात्रों द्वारा
- द बाहर से आने वाले विशेषज्ञ द्वारा।
- उत्तर - अध्यापक द्वारा ।
- 4 नाटक का प्राण तत्व किसे कहा गया है।
- अ अभिनय
- ब व्याख्या
- स समीक्षा
- द पात्र
- उत्तर - अभिनय ।
- 5 उपन्यास व नाट्य मे किस तत्व का अन्तर होता है।
- अ अभिनय
- ब व्याख्या
- स समीक्षा
- द भाषा शैली।
- उत्तर - अभिनय ।