दूरस्थ शिक्षा:-
Credit Navbharat Times
दूरस्थ शिक्षा अनेक अर्थों में प्रयोग की जाती है ।
अर्थों के अनुसार उसके कई नाम भी प्रचलित हैं।
जैसे :- पत्राचार शिक्षा ,बहु माध्यम शिक्षा ,गृह अध्ययन शिक्षा ,स्वतंत्र अध्ययन और मुक्त अधिगम।
व्रैडमैयर के अनुसार :- स्वतंत्र अध्ययन का उद्देश्य विद्यालय के छात्रों को कक्षा के अनुपयुक्त स्थान तथा प्रारूप से मुक्त करना है तथा विद्यालय से बाहर के छात्रों को उनके अपने वातावरण में अध्ययन करते रहने के अवसर प्रदान करना होता है ।
डॉक्टर कुलश्रेष्ठ के शब्दों में :- दूरस्थ शिक्षा व्यापक तथा अनौपचारिक शिक्षा की एक विधि है जिसमें दूर-दूर स्थानों पर स्थित छात्र शैक्षिक तकनीकी द्वारा प्रायोजित विकल्पों में से किन्ही निश्चित विकल्प जैसे स्व अनुदेशन सामग्री पुस्तकों चार्ट मॉडल आदि का प्रयोग करते हुए शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति कर लेते हैं ।
- इस विधि को अमेरिका उपागम भी कहते हैं ।
- अध्यापक के स्थान पर पाठ्यक्रम को महत्व दिया जाता है।
- औपचारिक शिक्षण का अभाव होता है ।
- स्व अनुदेशन प्रणाली पर आधारित है ।
- इस विधि में प्रत्यक्ष शिक्षण नहीं होता है।
- इस विधि में विद्यार्थी अपनी इच्छा अनुसार समय योग्यता गति के अनुसार प्राप्त करता है ।
- विश्व में सर्वाधिक लोकप्रिय विधि है ।
- यह उच्च स्तर के लिए उपयोगी है।
- इस विधि द्वारा तीनों उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सकती है ।इस विधि में शैक्षिक तकनीक के विभिन्न माध्यमों का प्रयोग किया जाता है जैसे टेलीविजन, रेडियो प्रसारण ,इंटरनेट इत्यादि ।
- संविधान में वर्णित सभी को शिक्षा देने का अवसर दूरस्थ विधि है जैसे किसानों को, कामकाजी महिलाओं को ,ग्रामीणों को, गरीबों को ।
- जैसे राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय राज्य मुक्त विश्वविद्यालय सभी दूरस्थ विधि से संबंधित हैं ।
- दूरस्थ शिक्षा शिक्षक और छात्रों के मध्य निम्नांकित प्रकार की दूरियों की ओर संकेत करती है ।
1 अधिगम एवं अंत: क्रिया की दूरी ।
2 भौतिक दूरी ।
3 पाठ्यक्रम व शिक्षण की दूरी।
दूरस्थ शिक्षा प्रणाली की विशेषताएं :-
- इस विधि द्वारा अपनी इच्छा अनुसार समय योग्यता तथा गति के अनुसार अध्ययन के अवसर मिलते हैं।
- शिक्षण अधिगम की एक संगठित एवं सुव्यवस्थित प्रणाली है ।
- यह ज्यादा लचीली है।
- दूरस्थ शिक्षा की तकनीकों का प्रयोग सभी आयु वर्ग के व्यवसाय तथा अव्यवसायिक पाठ्यक्रमों के प्रशिक्षण हेतु किया जाता है।
- यह स्वयं अनुदेशन की प्रणाली पर आधारित है।
- इस प्रणाली में छात्रों को अधिगम की स्वतंत्रता होती है।
- दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के उद्देश्य या लक्ष्य :-
- इस प्रणाली में ज्ञान को विभिन्न विधियों के द्वारा छात्रों तक पहुंचाने का सफल प्रयास करना ।
- लोगों के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान करना ।
- दूरस्थ शिक्षा का प्रमुख ऊद्देश्य है पढ़ने वालों के द्वार द्वार तक शिक्षा पहुंचाना ।
- छात्रों की आवश्यकता के अनुसार अधिगम सामग्री तैयार करना।
आवश्यकता एवं महत्व :-
- दूरस्थ शिक्षा समय से पूर्व जीविकोपार्जन के लिए किसी नौकरी में लगे लोगों के लिए एक उत्तम साधन है ।
- ऐसे लोग जो दूर-दराज के गांव में ,पहाड़ी प्रदेशों में रहते हैं जहां शैक्षिक सुविधाओं का अभाव होता है या वे बहुत सीमित मात्रा में है वहां दूरस्थ शिक्षा शिक्षा की ज्योति फैलाने में शक्तिशाली साधन है।
- दूरस्थ शिक्षा राष्ट्रीय उत्पादन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- दूरस्थ शिक्षा अतिरिक्त शैक्षिक प्रशिक्षण की आवश्यकता के लिए भी महत्वपूर्ण है।
- निरक्षर किसानों, मजदूरों,ग्रहणी, विकलांग व्यक्तियों आदि के लिए भी महत्वपूर्ण है।
- दूरस्थ शिक्षा औपचारिक शिक्षा का क्षेत्र काफी व्यापक है।
- दूरस्थ शिक्षा छात्र केंद्रित व्यवहार है।
- दूरस्थ शिक्षा से ज्ञानात्मक भावात्मक तथा क्रियात्मक तीनों प्रकार के उद्देश्यों की प्राप्ति संभव है।
- छात्रों में स्वाध्याय की प्रवृत्ति का विकास करती है।
- छात्रों में अभिप्रेरणा को जाग्रत करती है ।
- नवीन सूचनाएं प्रदान कर दक्षता उत्पन्न करती है ।
- जीवन की शैली में वांछित परिवर्तन लाती है।
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