Sunday, August 23, 2020

भाषा प्रयोगशाला विधि


क्रेडिट फॉर 

Photo: Bundesarchiv, Bild 183-P0422-0004 / CC-BY-SA

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कक्षा अध्यापन का पूरक ही भाषा प्रयोगशाला है ।

भाषा रिकॉर्डिंग अधिक स्वाभाविक वातावरण की सृष्टि करता है ।

भाषा शिक्षण में प्रारंभ में पढ़ने लिखने के स्थान पर सुनने बोलने पर बल दिया जाता है । 

भाषा में तीव्रता से गति आती है।

 सभी पक्षों पर सामान बल दिया जाना चाहिए।

प्रोफेसर एडमिन पेकर के अनुसार:-  भाषा प्रयोगशाला वैद्युतिकीय साज सज्जा से युक्त एक शिक्षण कक्ष होता है जिसका उपयोग भाषाओं में समूह शिक्षण के लिए किया जाता है।

 भाषा प्रयोगशाला की उपयोगिता भाषा प्रयोगशाला में कक्षा में पढ़ाई गई पाठ सामग्री का अभ्यास कराया जाता है ।

पाठ्य सामग्री को दोहराने का अवसर प्राप्त होता है।

अपनी अपनी गति से विद्यार्थी अभ्यास करता है ।

शिक्षक व्यक्तिगत ध्यान दे सकता है ।

तत्काल अशुद्धि ठीक करने की सुविधा भाषा प्रयोगशाला में अधिक संभव है ।

पुनर्बलन प्राप्त होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है और कक्षा में  दुहराने में जो समय लगता है उस की बचत होती है ।

भाषा प्रयोगशाला के प्रकार :- 

भाषा प्रयोगशाला कई प्रकार की हो सकती है।

1  तार की दृष्टि से :- 

तार युक्त प्रयोगशाला :- विद्यार्थी को निश्चित स्थान पर बैठना पड़ता है ।

तार मुक्त प्रयोगशाला :-  समस्त व्यवस्था का तार मुक्त होने के कारण बैटरी चालित व रिसीवर होने के कारण विद्यार्थी बूथ को कहीं भी उठाया वह रखा जा सकता है।

 काफी सरल व कम खर्चीली है ।


2 प्रोग्राम की दृष्टि से:- 

प्रोग्राम से तात्पर्य उस पाठ्य सामग्री से है जो शिक्षक प्रसारित करता है । एक साथ एकाधिक प्रोग्राम प्रसारित किए जा सकते हैं । 1 से 4 तक ।

3 विद्यार्थी की क्रियाशीलता की दृष्टि से :- 

क्रिया हीन  प्रयोगशाला:- इसमें विद्यार्थी के पास ना कोई माइक होता है ना कोई टेप रिकॉर्डर।

दूसरी ओर शिक्षक कंसोल से सेवाएं प्रसारण के कुछ नहीं कर सकता।

जिसके फलस्वरूप शिक्षक विद्यार्थी कोई बातचीत नहीं कर सकता।

ओडियो एक्टिव प्रयोगशाला:-  इस प्रकार की प्रयोगशाला में विद्यार्थी हैंडसेट की सहायता से प्रसारित पाठकों को तो सुन ही सकता है पर साथ ही  माइक के माध्यम से दोहराए गए पाठ को स्वयं भी सुन सकता है और अध्यापक के पास तक भी भेज सकता है ।

विद्यार्थी के पास अपना टेप रिकॉर्डर नहीं होता जिससे वह मास्टर टेप के पाठ को और अपने उच्चारण को टेप कर  सके।  इसको ही ब्रॉडकास्ट प्रयोगशाला भी कहते हैं।

श्रव्य क्रियाशील मिलान (ओडियो एक्टिव कम्पेयर ) :- विद्यार्थी मास्टर टैब को सुन सकता है दोहराता है और रिकॉर्ड भी करता है।

 यह सबसे अधिक सुविधाजनक है ।

भारतीय भाषा संस्थान मैसूर तथा इसके विभिन्न केंद्र मैसूर ,भुवनेश्वर, पटियाला, केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा ,लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकैडमी मसूरी आदि स्थानों पर इस प्रकार की ही प्रयोगशाला है ।

इसको पुस्तकालय प्रयोगशाला भी कहते हैं ।इसका आधुनिक रूप डायल प्रयोगशाला है।

 दूरस्थ नियंत्रण रिमोट कंट्रोल भी संभव है।

 स्थान के अनुसार 8,16 ,32,40 बूथ लगाए जा सकते हैं शिक्षक को अनेक सुविधाएं प्राप्त है ।टेप रिकॉर्डर से पाठ प्रसारित करना, माइक से प्रसारण, हैंडसेट का उपयोग। इस प्रकार शिक्षक  पाठ प्रसारित करने में ही सक्षम नहीं वरन  पूरा पूरा नियंत्रण रख सकता है।


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