बोलना कौशल :-
1 सीखने की कौशल में दूसरा कौशल है ।
2 यह पूर्ण रूप से सुनना कौशल पर निर्भर करता है ।
3 सुने हुए भावों को अर्थपूर्ण शब्दों में बोलकर अभिव्यक्त करना बोलना कौशल कहलाता है ।
4 यह कौशल अभ्यास का अनुकरण का गुणज माना जाता है।
5 इस कौशल के विकास हेतु बालक को ज्यादा से ज्यादा सुनने के अवसर उपलब्ध कराने चाहिए ।
6 बालक को वाद विवाद संवाद अंत्याक्षरी में भाग लेने हेतु प्रेरित करना चाहिए ।
7 अध्यापक को चाहिए कि वह वाणी का उचित आरोह अवरोह तथा स्पष्ट रूप से व्याख्यान प्रस्तुत करें।
8 बालक को सही वातावरण उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
9 वार्तालाप में मुहावरे और लोकोक्तियां को भी उचित स्थान दिया जाना चाहिए।
10 यदि बालक उच्चारण की अशुद्धता करें तो उसे रोककर शुद्ध उच्चारण का अभ्यास कराना चाहिये।
मौखिक अभिव्यक्ति की महत्ता :-
1 दैनिक जीवन में मौखिक अभिव्यक्ति का महत्व ।
2 व्यावसायिक कार्य में सहायक
3 कहानी सुनना तथा सुनाना
4 चित्र वर्णन
5 कविता पाठ
6 ज्ञानार्जन का महत्वपूर्ण साधन
7 वार्तालाप अभिव्यक्ति का साधन
8 अभिव्यक्ति एक व्यवसाय।
9 भाषा शिक्षण में बोलचाल का महत्व
10 व्यक्तित्व विकास का महत्वपूर्ण साधन है ।
अभिव्यक्ति शिक्षण के उद्देश्य :-
A विद्यार्थियों को विचारों को सरलता से व्यक्त करने की क्षमता प्रदान करना
B विद्यार्थियों में बोलने की झिझक और संकोच को दूर करना
C सरल तथा स्पष्ट भाषा में वार्तालाप करने की आदत विकसित करना
D विद्यार्थी को सफल वक्ता बनाना
E छात्रों को शुद्ध उच्चारण का प्रयोग करना सिखाना
F पूछे गए प्रश्नों का स्पष्ट और सही उत्तर दे सकने की योग्यता उत्पन्न करना
G विद्यार्थियों को मधुरता पूर्वक शिष्टाचार के नियमों का पालन करते हुए दूसरों से वार्तालाप करना सिखाना
H उचित समय पर उचित शब्दों का प्रयोग करने की योग्यता प्राप्त करने की क्षमता विकसित करना।
मौखिक अभिव्यक्ति को कुशल बनाने हेतु विभिन्न अवसर:-
1 प्रश्नोत्तर
2अंताक्षरी
3वाद विवाद प्रतियोगिता
4 संवाद
5 वर्णन
6 सांस्कृतिक कार्यक्रम
7 कहानी कथन
8 कवि सम्मेलन
9 अभिनय ।
अशुद्ध उच्चारण के कारण :-
1 शिक्षक द्वारा अशुद्ध उच्चारण ।
2 मनोवैज्ञानिक कारण भय ।
3 असावधानी
4 क्षेत्रीय प्रभाव
5 सामाजिक प्रभाव
6 प्रयत्न लाघव।
7 बनकर बोलना
8 उच्चारण शिक्षण का अभाव ।
9 अज्ञान
10 ध्वनि यंत्र में विकार विकार।
उच्चारण दोषों के निराकरण के उपाय:-
1 शिक्षक द्वारा ध्वनि तत्व का ज्ञान कराना
2 शुद्ध बोलने वालों की संगत
3 अध्यापक द्वारा शुद्ध उच्चारण
4 प्रेम पूर्ण व्यवहार
5 अनुकरण विधि का प्रयोग है
6 प्रतियोगिता आयोजित कराना ।
वर्तनी :-
शब्दों में निहित अक्षरों या वर्णों को शुद्ध रूप में तथा सही क्रम में लिखा जाता है ।
शुद्ध वर्तनी का प्रभाव उच्चारण तथा रचना के अन्य रूपों पर पड़ता है।
वर्तनी की अशुद्धियों के कारण :-
- अशुद्ध उच्चारण
- व्याकरण की अनभिज्ञता
- उच्चारण की विषमता
- लिपि का अधूरा ज्ञान
- असावधानी
- प्रांतीय प्रभाव
- मन स्थिति सामान्य ना होना
- लेखन अभ्यास का अभाव
- शीघ्रता से लिखना।
निराकरण :-
- शिक्षक द्वारा लिपि का पूर्ण ज्ञान कराना
- व्याकरण का पूर्ण कराना
- शुद्ध उच्चारण की शिक्षा देना
- लिखने का अभ्यास करवाना
- शब्दकोश का प्रयोग करना
- बच्चे पर व्यक्तिगत ध्यान देना
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