Showing posts with label गणित सनालेशन. Show all posts
Showing posts with label गणित सनालेशन. Show all posts

Sunday, August 6, 2023

विश्लेषण व संश्लेषण विधि


महत्त्वपूर्ण तथ्य :- विश्लेषण विधि के शिक्षण सूत्र निगमन विधि के शिक्षण सूत्रों पर आधारित होते हैं लेकिन विश्लेषण विधि की प्रकृति आगमन विधि के समान होती है ।


(वि नि शि) = विश्लेषण - निगमन - शिक्षण सूत्र 

संश्लेषण विधि के शिक्षण सूत्र आगमन विधि के शिक्षण सूत्रों पर आधारित होते हैं लेकिन संश्लेषण विधि की प्रकृति निगमन विधि के समान होती ।

Most Important Fact : 

शिक्षण सूत्रों के प्रश्न में आगमन और संश्लेषण विधि दोनो की ऑप्शन में हो तो संश्लेषण विधि को प्रथम वरीयता दी जानी चाहिए 

विश्लेषण विधि

यह विधि विश्लेषण प्रक्रिया पर आधारित है। गणित की समस्याओं के विश्लेषण में हम इस विधि का उपयोग करते हैं। यह विधि रेखागणित में अधिक उपयोगी सिद्ध हुई है। इस विधि की सहायता से किसी भी समस्या के कठिन भाग का विश्लेषण करके यह ज्ञात किया जाता है कि इस समस्या का हल किस प्रकार किया जाए? इस प्रकार समस्याओं के विभिन्न भागों का विच्छेदन करने को ही विश्लेषण कहते हैं। 

इस विधि में हम "अज्ञात से ज्ञात की ओर 'निष्कर्षो से ज्ञात तथ्यों की ओर' चलते हैं। इस विधि में जो ज्ञात करना होता है या सिद्ध करना होता है उससे आरम्भ करते हैं कि इसे ज्ञात करने के लिए या सिद्ध करने के लिए हमें पहले क्या ज्ञात करना चाहिए? इस प्रकार ज्ञात करते-करते जो कुछ दिया जाता है, उस तक पहुँच जाते हैं। जटिल समस्याओं को हल करने के लिए इस विधि का ही प्रयोग करते हैं क्योंकि इसके द्वारा उस समस्या को छोटे-छोटे भागों में बाँट लेते हैं जिसके कारण उसका हल ढूंढ़ना सरल हो जाता है। 

मुख्यतया इस विधि का प्रयोग अग्रलिखित परिस्थितियों में किया जाता है- 

i) जब किसी साध्य को हल करना हो

ii) जब रेखागणित में किसी रचना कार्य को हल करना हो।

iii) जब अंकगणित में किसी नवीन समस्या को हल करना हो इस विधि में प्रत्येक पद का अपना महत्त्व तथा आधार होता है। इसलिए किसी समस्या का विश्लेषण ठीक प्रकार से करना चाहिए।


विश्लेषण विधि के गुण

1.यह विधि मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित है।

2.इस विधि में बालक स्वयं अपनी समस्याओं के समाधान के लिए हल ढूंढ़ सकता है।

3. किसी प्रमेय की उपपत्ति (Proof) तथा निर्मेय की रचना इस विधि द्वारा ही समझी जा सकती है।

4. इस विधि के द्वारा छात्रों में अन्वेषण करने की क्षमता और आत्म-विश्वास में वृद्धि होती है। 

5. इस विधि से छात्रों में तर्क शक्ति, विचार शक्ति तथा विश्लेषण करने की क्षमता का विकास होता है। 

6. इस विधि द्वारा प्राप्त ज्ञान अधिक स्थायी होता है तथा छात्र नवीन ज्ञान प्राप्त करने के लिए उत्सुक रहता है।


विश्लेषण विधि के दोष

1. यह विधि छोटी कक्षाओं के छात्रों के लिए उपयुक्त है क्योंकि उस समय उनकी तर्कशक्ति तथा विश्लेषण की क्षमता अधिक विकसित नहीं होती है।

2. इस विधि द्वारा शिक्षण करने पर पाठ्यक्रम को निर्धारित समय में पूरा नहीं किया जा सकता है। 

3. इस विधि द्वारा समस्या को हल करने में अधिक समय लगता है क्योंकि विश्लेषण तथा तर्क की प्रक्रिया लम्बी होती है। 

4.विश्लेषणात्मक विधि का उपयोग तभी संभव है जब हमें ज्ञात तथ्यों तथा अज्ञात निष्कर्षों की जानकारी है। 

5. प्रत्येक अध्यापक इस विधि के प्रयोग करने में सफल नहीं हो सकता है ।



संश्लेषण विधि :- 

यह विधि संश्लेषण कार्य पर आधारित है। संश्लेषण का अर्थ- * अलग-अलग भागों को जोड़ना है।" इस विधि में 'ज्ञात से अज्ञात' की ओर चलते हैं। जब कोई समस्या सामने आती है तो सबसे पहले दी गई समस्त सूचनाओं को एकत्र करते हैं और फिर उसे हल करते। हैं।


संश्लेषण में एक तथ्य की सत्यता की जाँच की जाती है, परंतु इससे प्रस्तुत समस्या का वास्तविक रूप ज्ञात नहीं हो पाता है। गणित शिक्षक को ज्यामिति तथा रेखागणित शिक्षण करते समय विश्लेषण एवं संश्लेषण दोनों विधियों का एक साथ प्रयोग करना चाहिए। सर्वप्रथम समस्या का विश्लेषण करना चाहिए जिससे छात्र यह जान सके कि कोई रचना कार्य या किसी पद का उपयोग क्यों किया गया है? तथा समस्या का हल ज्ञात करने में इससे क्या सहायता मिलेगी ? 

इस प्रकार इस विधि द्वारा प्रस्तुत हल संगठित क्रमबद्ध तथा सरलता से समझा जा सकता है।

समस्याओं को शीघ्रता, स्वच्छता और स्पष्टता से हल करने की दृष्टि से यह एक उपयुक्त विधि है।

संश्लेषण विधि के गुण:-

  • वैज्ञानिक विधि है
  • सैद्धांतिक ज्ञान की प्राप्ति
  • निष्कर्षों की जांच की जा सकती है 
  • प्राप्त निष्कर्ष वैध व विश्वसनीय होते हैं 




विश्लेषण तथा संश्लेषण विधि में अंतर 


1. विश्लेषण विधि में छात्रों को नवीन ज्ञान प्राप्त करने के अवसर मिलते हैं। विश्लेषण विधि द्वारा छात्रों में आत्म-निर्भरता तथा आत्म- विश्वास का विकास होता है। विश्लेषण विधि से समस्याओं को शीघ्र एवं स्वच्छता से हल करना सीख सकते हैं।

संश्लेषण विधि में  छात्रों को पहले से तैयार सामग्री उपलब्ध हो जाती है जिससे उन्हें अधिक परिश्रम नहीं करना पड़ता है। इसमें आत्मनिर्भरता तथा आत्मविश्वास की कमी रहती है क्योंकि छात्र समस्याओं का हल स्वयं नहीं खोजता है।


2. विश्लेषण विधि द्वारा इस बात का स्पष्ट उत्तर मिलता है कि रचना का कोई पद या उपपत्ति का कोई पद क्यों लिया गया है.? 

संश्लेषण विधि द्वारा केवल यह प्रदर्शित किया जाता है कि उपपत्ति या रचना का प्रत्येक पद सही है, परन्तु सही क्यों है? यह बात स्पष्ट नहीं होती।


3.विश्लेषण का अर्थ किसी समस्या को उसके विभिन्न भागों से विभाजित करना है।

संश्लेषण का अर्थ समस्या के विभिन्न छोटे-छोटे भागों को एकत्रित करके निर्धारित लक्ष्य की ओर बढ़ना है।


4. विश्लेषण विधि के द्वारा खोज करने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहन मिलता है। इस विधि में अज्ञात से ज्ञात की ओर चलते हैं।

संश्लेषण विधि में खोजे गए तथ्यों को संक्षेप में लिखा जाता है।इस विधि में ज्ञात से अज्ञात की ओर चलते हैं तथा समस्या में दी गई बातों को आधार मानकर निष्कर्ष प्राप्त करते हैं।

5.विश्लेषण विधि में छात्रों को अपनी मानसिक शक्तियों का उपयोग करने का पूर्ण अवसर मिलता है। इस विधि में शिक्षक तथा छात्र दोनों ही सक्रिय रहते हैं। 

संश्लेषण विधि में बालकों को मानसिक शक्ति के उपयोग के कोई अवसर नहीं मिलते हैं। इसके द्वारा छात्रों को रटने की आदत पड़ती है। इसमें छात्र निष्क्रिय तथा शिक्षक का चिंतन क्रियाशील रहता है।

6. विश्लेषण विधि एक दीर्घ विधि है। इसमें परिश्रम और समय दोनों ही अधिक लगता है।

संश्लेषण विधि में समय तथा परिश्रम दोनो ही लगते हैं। यह एक सूक्ष्म विधि है। 

शिक्षण अधिगम सामग्री

शिक्षण अधिगम सामग्री :- शिक्षण सामग्री वे साधन है जिन्हें हम आंखों से देख सकते हैं कानों से उनसे संबंधित ध्वनि सुन सकते हैं वे प्रक्रियाएं ज...